Book Title: Oswal Porwal Aur Shreemal Jatiyo Ka Sachitra Prachin Itihas
Author(s): Gyansundar Maharaj
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpamala

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Page 5
________________ आचार्य शुभदत्त. (३) मापभी के पवित्र जीवन के विषय में किसी पट्टावलिकारने विशेष वर्णन न करते हुए यह ही लिखा है कि आप अपनी अन्तिमवस्था में शासन का भार आचार्य हरिदत्त सूरि के सिर पर रख आपश्री सिद्धाचलजी तीर्थपर एक मास का अनसन पूर्वक्र चरम श्वासोश्वास और नाशमानं शरीर का त्याग कर अनंत सुखमय मोक्ष मन्दिरमे पधार गये इति पार्श्वनाथ प्रभुके प्रथम पट पर हुवे आचार्य शुभदत्तसूरि । ( २ ) आचार्य शुभदत्त सूरि मोक्ष पधार जाने पर सूर्य और चन्द्र इन दोनों का प्रकाश अस्त हो जानेसे श्री संघ बहुत रंज हुवा तत्पश्चात् आचार्य हरिदत्तसूरि को संघ नायक नियुक्त कर सकल संघ उन सूरिजी की आज्ञा को सिरोद्धारण करते हुवे आत्म कल्याण करने में तत्पर हुवे आचार्य श्री श्रुत समुद्र के पारगामी, वचन लब्धि, देशनामृत तुल्य, उपशान्त जीतेन्द्रिय यशस्वी परोपकार परायणादि अनेक गुण संयुक्त सूर्य चन्द्र के अभाव दीपक को परे उद्योत करते हुवे भूम. ण्डल में विहार करने लगे। दूसरी तरफ यज्ञहोम करनेवालों का भी पग पसारा विशेष रूप में होने लगा हजारो लाखो निरापराधी पशुओं का बलीदान से स्वर्ग बतलानेवालों को संख्या में वृद्धि होने लगी परिव्राजक प्रव्रजित सन्यासी लोगोंने इसके विरूद्ध में खडे हो यज्ञ में हजारो लाखों पशुओंका बलिदान करना धर्म बिरूद्ध निष्ठूर कर्म बतला रहे थे आचार्य हरिदत्तसूरि के भी हजारो मुनि भूमण्डल पर अ. हिंसापरमो धर्म का झंडा फरका रहे थे एक समय विहार करते हुवे आचार्य श्री अपने ५०० मुनियों के परिवार से स्वस्तिनगरी के उद्यान में पधारे यहां का राजा अदीनशत्रु व नागरिक बडे ही आडम्बरसे सूरिजी को वन्दन करने को Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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