Book Title: Oswal Porwal Aur Shreemal Jatiyo Ka Sachitra Prachin Itihas Author(s): Gyansundar Maharaj Publisher: Ratnaprabhakar GyanpushpamalaPage 37
________________ उपकेश पट्टन की स्थापना. ( ३१ ) वहांसे चल दीया रहस्ता में अश्व व्यापारियोंसे ५५ अश्व ( दूसरी पट्टावलिमे १८० अश्व लिखा है ) ले के ढेलीपुर ( दिल्लि ) पहुंचे वहां श्री साधु नामका राजा राज करता था वह छैमास राजका काम देखता था नौर छैमास अन्तेवर महलमे रहता था उत्पलदेव राजकुमार हमेशा राज दरबार मे जाया करता था और एकेक अश्व भेट किया करता था. जब ५५ दिन व १८० दिनमें सब घोडें भेटकर चुका तब दूसरे दिन राजा राज सभामें आया और वह अश्व भेट की बात सुनी तब उपलदेव कुमार को बुलाया पुच्छनेपर कुमर ने ari मे भिन्नमाल के राजा भीमसेन का पुत्र हुं नयानगर बसाने के लिये कुच्छ जमीन की याचना करने के लिये यहां आया हुं इस विषय पट्टावलियों के अलावे कुच्छ प्राचीन कवित भी मीलते है पर वह स्यात् पीच्छे से किसी कवियाने रचा हुवा ज्ञात होता है । खेर राजा श्री साधु कुमर की वीरता पर मुग्ध हो एक घोडी दे दी की जायें। जहां पर उजड भूमि देखा वहां ही तुम अपना नया नगर वसा लेना पासमें एक शुकनी वेठा था उसने कहा कुमार साब जहां घोडी पैशाब करे वहां हो नगर वसा देना, इसी शुकनो पर राजकुमार और मंत्री वहां से सवार हो चल धरे कि शुबह मंडोर से कुच्छ आगे उजडभूमि पडी थी वहां घोडिने पैशाब कीया बस वहां ही छडी रोप दी नगर बसाना प्रारंभ कर दीया उसीलो जमीन होनेसे उस नगर का नाम उपणपट्टन रख दीया मंत्रीश्वरने इधर उधर से लोगों को लाके नगर में बसा रहे थे यह खबर भीनमाल में हुई वहां से भी उपलदेव उद्दड के कुटम्ब के साथ बहुत से लोग आये । " ततो भीनमालात् अष्टादश सहस्र कुटम्ब आगत Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78