Book Title: Nyayamanjari Part 02
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
________________
मूत्रानुक्रमणी
672
713 663 668
632
654
663
664
381 652 655 365 292
668
भनिग्रहस्थाने अनुक्तस्यार्थ अनुपलंभात्मक अनैकान्तिक अपरीक्षिता अर्धापत्तित अवयवविप अविज्ञाततत्त्वे अविज्ञान च अविशेषामि अविशेषे वा भविशेषोक्ते इच्छाद्वेष भारमशरीर इन्द्रियान्तर उत्तरस्याप्रति उदाहरण उदाहरणापेक्ष उपपत्तिकारण उभयकारणो उभयसाधा एकधर्मोपपत्तः कारणान्तरादपि कार्यव्यासंगात्
548 662 698 584 706 637 643 690 278 263 291 707 560 574 665 665 660 663 666 708
कार्यान्यत्वे कालात्ययाप किंचित्साधर्म्य क्वचित्तद्धर्म गन्धरसरूप गोत्वाद्गोसिद्धि घटादिनिष्पत्तः घ्राणरसन ज्ञातुर्मान ज्ञानविकल्पानां तत् त्रिविध तथाभावात् तथा वैधात् तदत्यन्तविमोक्ष तदनुपलब्धेः तद्विकल्पात् तद्विपर्ययाद्वा तन्त्राधिकरण त्रैकाल्यानुप दर्शनस्पर्शन दुःखजन्म दृष्टान्तस्य कारण दृष्टान्ते साध्य धर्मविकल्प
637 658 564 430 667 678 571 544 661 290 440 656 670
641
Page Navigation
1 ... 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764 765 766 767 768 769 770 771 772 773 774 775 776 777 778 779 780 781 782 783 784 785 786 787 788 789 790 791 792 793 794