Book Title: Nyayamanjari Part 02
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute

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Page 768
________________ 15 535 535 33 246 428 90 444 458 185 318 513 एवं व्याकरण एवं सर्वमिद एवं सत्युप एवं स्थितेषु एवं हि यस्थ एवमेशत्रय एवमनन्त एषां च क्षण एषां प्रहरणो 487 122 91 342 358 418 .284 . ऐकान्तिकमात्य 592 . 277 46 140 515 337 343 446 393 एकदेशाश्रयत्वे एक एव विभागे एकवादेन नान्यत्र एकमेवेश एकमेवेश एकयव हि एकवस्तुक्षणस्य एकश्च बोधः एकस्य कार्य एकाधिकरणो एकाश्रयतया एकीकारश्चं . एतच्च चेतसि । एतदेवोच्यता एतेन रविगुप्तो एवं कर्मावृत्तिः एवं गृहाश्रमें - एवं च बाधकाभाव एवं च ब्रह्म एवं च वंचना एवं डिस्थादि एवं नरकपात एवं नियमित एवं नियोगव्या एवं नि: फल एवं पदार्थे एवं प्रायममु एवं परमत एवं मृषात्वमुद एवं यदैव एवं विधिवशा एवं व्याकरण औ औदासीन्य 317 572 129 298 64 . कचनिलंछनदि 128 कथं वारो कथं प्रवृत्तिः 118 कथं फलमदत्वा कथं बौद्धगृहे कथ वा रसा 518 __ कथै स्पृशति 138 कथं स्मृत्यादि 262 कथमध न रागाय 345 । कथमेतदिति 375 कथ्यते तद्गत 261 कपिलब्राह्मण 520 118 12 452 321 322 518 69 296 450 ___38 58 409

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