Book Title: Nyayamanjari Part 02
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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570 482 30 146
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भवेदेवं च भवेदेवेति भवेद्यदि भवेयुः स्मृतयः भावनामीदर्शी भाट्टैः किमप भावानां क्षण भावार्थस्तु
भावार्थास्तहि . भावार्थाः कर्म
भाव्यतेऽनात्म. भिन्नप्रमाणात् भिन्नाभिन्नों भिन्नोपलम्भ भूतवद्भूत भूतानामेव भेददर्शन भेदेनोक्ता भ्रष्टः शापेन.
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मा च सूतामिमी मातापितृस्थ मानसी मन्मथो मा निवर्तिष्ट मा प्रतिष्ठ माया सपदियो मुक्तोःस्युः गिरि मुखेन पक्ष्मला मुख्यमर्थमथ मुग्धास्मित मुधैव तस्मा मुमुक्षुणा हेम मूत्रासृग्द्वार मूलस्वाभावेऽपि मूलभूतौ च मूर्धाक्षिवेदनो मूर्छादिषु मूर्छाद्यनन्तर मूर्छितस्यापि मृत्युनव च मेघा अपि मेदोग्रन्थी मैत्रेय्या परि मोक्षचर्चाः मोक्षार्थी न मोदकाद्याप्तये
261 349 506 118 118 468 520 443 642 443 500 428 449 546 431 376 344 344 344 447 435 449 358 445 455 75
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मतद्वयमपीदं मतुबर्थी मथ्नाति ते मनुष्यैस्सह मनोभवमया मन्त्रार्थवादो मम स्वभ मम पाणिभुजो मयापि योग्या मयेदं पूर्वे
214 276 520 377 355 476 211 272 210 295
य एव देहान्तर य एव रागः
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