Book Title: Nyayamanjari Part 02
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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27
30
285
363
141 114, 128
35
218 287 22 214 8-c
28
1.0
246
24 381 425
काञ्च
520
पश्यत्यनुगते पाकजोत्पत्ति पाके ज्वालेव पाकेऽपितागे पारमार्थिकश पार्थिवश्वाविशेषे पिण्डसर्वगतत्वे पिण्डे नासीद पिण्डे सामान्य पितृभ्यामभि । पुंसस्तु गुण । पुसो भवाब्धि पुसः फलघटी पुसा न किञ्चि पुनरावर्तमानषा पुनर्गच्छन्वशे पुराण धर्मशास्त्र पुरुषस्य प्रयत्नो पुष्पिता सा. पूर्वं चाननुभूत पूर्वकथना पूर्वापरदशा . पृयक्परिग्रहो पृथक्पृथक्स्व प्रकाशकत्वं शब्दस्य प्रकृतानुपयोगि प्रकृतिप्रत्ययौ प्रज्ञावल्लीविशाला प्रतन्वतां सं प्रतारणपराणां प्रतिक्षिपसि प्रतिपत्तुरना
444 443 258
86 101, 219
प्रतिपशस्वरूषस्य प्रतिभा खलु प्रतिषेधाधि प्रतीतिभेदात् प्रतीतिमार्गस्त्वं प्रतीयते ततो प्रत्यक्षं न हि प्रत्यक्षदृष्ट प्रत्यक्ष मिति प्रत्यक्षेऽपि न प्रत्यक्षादिप्रमा प्रत्यक्षादिसमा प्रत्यभिज्ञा बिना प्रत्ययार्थः करो . प्रदार्शित हि प्रदीपबोध प्रदीप्ते रागाग्नौ प्रदेशान्तर प्रपन्नजन प्रपन्नायविप प्रमाण क्षणिका प्रमाणगोचरत्वेन प्रमाणकदिहा प्रमाणसन्देह प्रमाणस्य प्रमे प्रमाणान्तरदर्शन प्रमत्णान्तरसंपर्क प्रमेयश्रुतिरात्मा प्रयुज्यमानमप्ये प्रयोगप्रतिपत्ति प्रयोजकत्व प्रयोजकत्वमि
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517 -417
60 294 134 310 85 42 500 437 345 718
3 298 438 '263 592 '717 211 131 262 210
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565 312 592 308 211 68
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