Book Title: Nyayamanjari Part 02
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute
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17
24
139
493
122
622 139 708 708
34 .343
642 310 355 513 622 692
66 542 346 356 640
503
-
क्वधित् साक्षा क्वचिदपि पर क्वचिदवसरे क्वचिदालोचना क्वार्मा सारण क्वायं वटुः क्वेदमन्यत्र क्षणभङ्गे निरस्ते क्षणान्तरे स क्षणिक बेचेष्यते क्षणिकत्वक्षमा क्षणिकत्वेऽपि क्षणिकत्य क्रमः क्षणिकस्यापि क्षणिकानेव क्षपणकास्त्वप क्षीणदोषस्य क्षीणस्वयवः
.
296 337 316 318
317
कुतोऽन्विताभि कुतो वासना कुर्यादित्यादि कुर्यादाक्षेप कुर्वता नील कूजप्रियत कृतमतिवाचाल कृतकरचना कृत्स्नं ब्याकरणां कृदमिहितो कृमेरषि यथा कृषिसेवादि केचित् क्रोध केनेदृशी केवलं जननी केयल बुद्धयुपाद केवलव्यतिरेका केवलान्वयि · . कोमलानिलक . क्रमातेक्रम फ्रमेण युगपद्वा क्रियां साध्यता क्रियाकारव क्रियादीनां क्रिया यदैव क्रियाविशेष क्रियैव तावत् क्लिनार्दतृण क्लेशकर्मप्रहाणा क्लेशकर्मानुबन्धो क्वचित्पुनर्य क्वचित्फलमयत्ने
83
300 520 266 285
.
खादेन्छ्वमांस खेदयेद्वादिन
220 650
158 565 565 506 663 317
75 211 140 537 .86 121 376 428 444
66 356
63
गङ्गायां घोष गन्धत्वादि गन्धादयो गर्भादौ प्रयम गुण शुक्लादि गुणत्वमपि
65 383 344 65 296
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