Book Title: Nyayamanjari Part 02
Author(s): K S Vardacharya
Publisher: Oriental Research Institute

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Page 777
________________ 24 323 444 227 501 292 122 118 213 127 143 210 284 315 .. 345 185 275 330 345 347 376.. . 431. 11 .452 29 228 125 141 309 314 . 575 533 न चालब्धात्मन न चाप्यज्ञानसा न चावान्तरसा न चाविबन्धमा न चास्य बाह्म न चेह वालो न चै शबल न चैष नियमो न चैषा पूर्व न जडखाविशेष न तथा खण्डकार्यत्य म तदुत्तरभावी न तर्हि प्रतिषेधः । म त्वेवं तत्य न तु शब्दत्य न तदैक्य परामर्श न तुल्यविषये न त्खनन्तरया न तस्य मिन्ना न तत्प्रसाधने म तु प्रध्वस न तद्व्यवसितं न तद्भोग्य सम न त्वर्थान्तर न तु ज्ञानेन म दोहदः पर्यनु न द्वयोर्वयम न द्रव्यत्वाविशेणे म नेति प्रत्यया ननु च योऽसौ ननु यद्यिते ननु पुंसीव 309 म निवर्तते ननु च प्रत्यभिमानो ननु च स्वर्गकामो ननु नाद्यापि . . नन्वत्र योग्यता ननु चाश्रितमि ननु स्थैर्य ननु पूर्यापरौ नत्वतिवाहिके ननु विमृशात मनु नानास्वपक्षे । ननु तस्यामव ननु दोषक्षयान्मा नन्वविछिन्न : मन्वाधार विवक्षा न पुनर्योमपुपादि न पूर्व नेत्तरं न प्रत्यवयव न भवेत्परिपोषो न भूमिरनुमानस्य नमश्शशिकला न मानवा व्याक न मोक्षसिद्धिरस्तीति न यज्जनने न रूपमस्य नरेच्छामात्र न वर्तमानकालत्य न वस्त्वन्तर म वितथमति न विशेष्ये च नरसभावना ननु माऽभूत् 560 566 285 298 718 270 •444 533 315 342 344 302 428 428 639 499 199 269 275 9 174 22 57 291 127 324 296 46 501 .586 201

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