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भाषाटीका सहित
स्वभावानुपलब्धि (प्रतिषेध्य के स्वभावकी अनुपलब्धि)जैसे - यहां धूम नहीं है, क्योंकि वह उपलब्धिलक्षणप्राप्त होने पर भी अनुपलब्ध है ॥ १ ॥
कार्यानुपलब्धिर्यथा | नेहा प्रतिबद्धसामर्थ्यानि कारणानि सन्ति धूमाभावात् ।
धूम
कार्यानुपलब्धि (प्रतिषेध्य के कार्यकी अनुपलब्धि ) - जैसे- यहां अप्रतिबद्धसामर्थ्य वाले ( जिस धूमकी गतिकी सामर्थ्य रुकी न हो ) धूमके कारण नहीं है, क्योंकि यहां धूमका अ भाव है ॥ २ ॥
पकानुपलब्धिर्यथा । नात्र शिंशपा वृक्ष (भावादिति । व्यापकानुपलब्धि (प्रतिषेध्यके व्याप्यके व्यापक धर्मकी अनु पलब्धि ) -
जैसे - यहां शिशपा ( शीशमका वृक्ष ) नहीं है, क्योंकि इस स्थान में वृक्षका अभाव है ॥ ३ ॥
स्वभावविरुद्धोपलब्धिर्यथा । नात्र शीतस्पर्शोऽप्रेरिति । स्वभावविरुद्धोपलब्धि ( प्रतिषेध्य के स्वभावसे विरुद्धकी पलब्धि ) --
जसे- यहाँशीतस्पर्श नहीं है, क्योंकि यहाँ अग्नि है ॥ ४ ॥ विरुद्धकार्योपलब्धिर्यथा । नात्र शीतस्पर्शो धूमादिति । विरुद्धकार्योपलब्धि ( प्रतिषेध्यसे विरुद्ध कार्य की उपलब्धि )जैसे - यहां शीतस्पर्श नहीं है, क्योंकि यहां धुआं है ॥ ५ ॥ विरुद्धव्यासोपलब्धिर्यथा । न धुत्रभावी भूतस्यापि भावस्य विनाशो हेलन्तरापेक्षणादिति । विरुद्धव्याप्तोपलब्धि ( प्रतिषेध्यके विरुद्धसे व्याप्त धर्मान्तर की उपलब्धि )----
जैसे - उत्पन्न हुई वस्तुका भी नाश अवश्यंभावी नहीं है (अनुत्पन्नका तो कैसे कह सकते हैं ), क्योंकि वह हेत्वन्तर की अपेक्षा रखती है ॥ ६ ॥
कार्यविरुद्धोपलब्धिर्यथा । नेहाप्रतिबद्धसामर्थ्यानि
शीतकारणानि सन्यप्रेरिति ।