Book Title: Navtattvasangraha tatha Updeshbavni
Author(s): Atmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
Publisher: Hiralal R Kapadia
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तत्त्व ]
एह एकविंशति भंग न्यायेन
कर १ करा २ अनु ३ कर । करा ४ करा अनु ५ कार अनु ६ काका अनु ७ सप्त सप्त गुणा ४९ भंगी भवंति
एकसो सैतालीस १४७ भंगी न्यायेन
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नवतत्त्वसंग्रह
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एकविंशतिभङ्गाः – प्रथमत्रते एकविंशतिभङ्गास्ततो द्विकादिवतसंयोगे द्वाविंशतिगुणितं एकविंशतिप्रक्षेपक्रमेण तावद् गन्तव्यं यावदेकादशवेलायां द्वादशवतसंयोगे भङ्गसङ्ख्या । एकोनपञ्चाशद् भङ्गाः - प्रथमवते एकोनपञ्चाशद् भङ्गास्ततो द्विकादिवतसंयोगे पञ्चाशद्गुणितं एकोनपञ्चाशत्प्रक्षेपक्रमेण तावद्० ।
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