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मय ४०
चूलिका
सौमनस
नंदन
भद्रशाल
तत्त्व] नवतत्त्वसंग्रह
१८९ भूतले मेरुपरिधि २१,६२३, भूतले मेरुविष्कंभ १०,०००, मेरु उपरि विष्कंभ १०००, मेरु उपरि परिधि ३१६२, मेरु मूलविष्कंभ १००९०३६, मेरु मूलपरिधि ३१९१०. एक सहस्र योजनप्रमाण मेरुका प्रथमकांड जानना, ६३ सहस्र योजनका द्वितीय कांड, ३६ सहस्र
पंडग
योजना योजनप्रमाण तीजा कांड. भद्रशालथी
लाल ५०० योजन उंचा नंदन वन है. नन्दन
सुवर्णमय वनस्य परिधि ३१, ४७९, नन्दनवन
३६००० मध्ये परिधि (2), नन्दनवनस्य विष्कंभ ९९५४६८, नन्दनवनमध्ये विष्कंभ
पीत सुवर्णमय १५७५० ८९५४, सौमनसवनस्य परिधि १३५११६, सौमनसवनमध्ये परिधि
रूप्यमय १५७५० १०३४९,२०, सौमनसवनस्य विष्कंभ ४२७२ सौमनसवनमध्ये विष्कंभ
अंकरत्नमय १५७५० योजन ३२७२, चूलकके मूलथी ४९४ योजन वलयाकारे विष्कंभ पंडग वन
स्फटिकरत्नम १५,७५० योजन (का) है. जिनप्रसाद अर्ध कोश पृथुत्व, कोश लांबा, १४४० धनुष उच्चत्व. पंडग
कांकरामय २५० योजन वनमे चार शिला ५०० योजनकी लांबी, २०० योजन पिहुली ४ योजनकी
वज्रमय २५० योजन उंची है. अर्धचन्द्राकारे श्वेत सुवर्णमयी शिलाना मानथी आठ सहस्रमे
पाषाणमय २५० योजन भागे सिंहासनका प्रमाण जानना. पूर्व पश्चिमकी शिला उपरि दो दो सिंहा
पृथ्वीमय २५० योजन सन है अने दक्षिण, उत्तरकी शिला उपरि एकेक सिंहासन है. इन शिलां उपरि भगवानका जन्ममहोत्सव इन्द्र करते है. (१२८) हैमवंत १ शिखरीकी दाढा चार, चार, तिस उपरि सात सात अंतरद्वीप. _ . १ २ ३ -- जगती परस्पर ३०० ४००
७००
। ९०० अंतर विष्कंभ परिधि ९४९ यो० १२५८ यो०/१५८१ यो० १८९७ यो०२२१३ यो० २५२९ यो०२८४५ यो०
६ अभ्यं. जल उपरि
६० तर
९५ योजन २२ योजन
→बाह्य
३
द
५००
६००
८००
२॥
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