Book Title: Navtattvasangraha tatha Updeshbavni
Author(s): Atmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
Publisher: Hiralal R Kapadia
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तत्त्व]
नवतत्त्वसंग्रह
२०३
(१६१) कर्म समुच्चय जीव मनुष्य आश्री
बांधे। वेदे २
वेदे । बांधे ३ ८७६
बांधे। बांधे १ ।
८७६ ८७६ ८७६१ ८७
वेदे । वेदे ४
८७ ८७ ८७६
"
८७४
८७६१ ८७६ ८७६१ ८७६१ ८७६१ ८७६१
८७६ ८/७६ ८७६
८७४ ८७६ ८७४ ८७
(१६२) शेष २३ दंडक आश्री ४ भंग
८७ ८७
८७ ୧୨
७
८७
८७
८७ ८७ ८७ ८७
८/७ ८७
८७
श्रीपन्नवणापद. (१६३) अथ आयुयन्त्रम्
अवन्ध काल
बन्ध काल
देव नरक युगल | नो(निरु ? )पक्रमी सोपक्रमी संख्या
६ मास ऊणा दोतिहाइ (३) ज० दो तिहाइ, स्वस्व भवस्थिति आपआपणे आयुकी उ० अंतर्मुहूर्त ऊणा भव अंतर्मुहूर्त
अंतर्मुहूर्त | अंतर्मुहूर्त एक तिहाइ
| ज० अंतर्मुहूर्त, ६ मासा
उ० पूर्व कोडकी आपआपणे आयुकी
तीहाइ
आवाधा
उ(सो)पक्रम आयु त्रूटवाना कारण ७-(१) अध्यवसाय-भय आदिक, सोमल ब्राह्मणवत् , (२) निमित्त-शस्त्र आदिकसे मरण पामे, (३) आहार-अजीर्ण आदिसे मरण, (४) वेदना-शूल आदिक, (५) पराघात आदि-ठोकर खाइने पडना, (६) स्पर्श-सर्प आदि डंकणा, (७) आनप्राण-श्वासोच्छ्वासना रोकणा. एह सात प्रकारे सोपक्रमीना आयु त्रुटे पिण नोपक्रमीनो नही. एह यंत्र श्रीस्थानांग, भगवतीथी जानना इति..
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