Book Title: Navtattvasangraha tatha Updeshbavni
Author(s): Atmaramji Maharaj, Hiralal R Kapadia
Publisher: Hiralal R Kapadia

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Page 273
________________ २४४ श्रीविजयानंदसूरिकृत [९ मोक्षलगे तीन समय निरंतर सीझे ७३ से लेकर ८४ लगे चार समय निरंतर सीझे ६१ से लेकर ७२ लगे ५ समय०, ४९ से लेकर ६० ताइ ६ समय०; ३३ से लेकर ४८ लगे ७ समय, एक से लेकर ३२ लगे ८ समय०. गणनद्वार पूर्ववत् जघन्य १२२ यावत् ३२. एवं सर्व जगे जान लेना. (१८३) क्षेत्रद्वार, अंतरद्वार लिख्यते. सांतर जंबूद्वीप धातकी षंडे पृथक् वर्ष जंबूद्वीपके तथा धातकी पंड विदेहे पुष्करद्वीपे १ तथा तिसके विदेहे १ वर्ष झझेरा कालद्वारे भरत, ऐरावतमे जन्म आश्री युगलकाल १८ सा नून (?) साहारण आश्री भरत, ऐरावते संख्याते हजार वर्ष नरकगतिना आया उपदेशथी सीझे तिसका १००० वर्ष " हेतुये सीझे संख्येय सहस्र वर्ष तिर्यंच गतिना आया उपदेशे पृथक् १०० वर्ष अनंतरोत तिर्यचना हेतुये सीझे तिसका संख्येय सहन वर्ष . तिथंच स्त्रीना १, मनुष्यना २, मनुष्यस्त्रीना ३, सौधर्म, "ईशान वर्जके सर्वे देवता देवीना आया उपदेशे १ वर्ष झझेरा अनंतरोक्त बोल हेतुये संख्येय सहस्र वर्ष पृथ्वी १, अप २, वनस्पति, गर्मज, पहिली, दूजी नरक, सोधम, इंशान दवका आया हेतुये सीझे संख्येय सहस्र वर्ष वेदद्वारे पुरुषवेदे १ वर्ष झझेरा स्त्री, नपुंसक वेदे संख्येय सहन्न वर्ष पुरुष मरी पुरुष हुह १ वर्ष झझेरा शेष ८ भांगे संख्येय सहस्र वर्ष तीर्थद्वारे तीर्थकर पृथक् ," तीर्थकरी अनंत काल अतीर्थकर १ वर्ष झझेरा नोतीर्थसिद्धाका प्रत्येकबुद्धी संख्येय सहन वर्ष लिंगद्वारे अन्यलिंगे गृहलिंगे स्वलिंगे १ वर्ष झझेरा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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