Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 585
________________ अब्भस्स निम्मलत्तं अब्भुयतरमिह एत्तो अभिई २० सवण २१ धणिट्ठा २२ अवणय गिरह य एत्तो असुइ-कुणव- दुसण असुइमलभरियनिज्झर अह कुसुमसंभवे का अंकारंतं धनं अंगुल विहत्थि रयणी अंतिय इंतिय उं ति य आकारंता माला गाहा अक्खरसमं पयसमं अग्ग १ पयावइ २ सोमे ३ अज्झप्पस्साssणयणं अणुभगद्दाराण आकारंतो राया आदिमउ आरभंता आभरण-वत्थ-गंधे भावस्सगस्स एसो भावस्सयं भवस्सकर णिज्ज इङ्गिता कारितैर्ज्ञेयैः इच्छा १ - मिच्छा २-तहक्कारो उत्तरमंदा रयणी उसे १ निसे य २ उर-कंठ-सिर विसुद्धं उरग-गिरि-जलण-सागर एए णव कव्वरसा १-१८ अणुओगद्दारसुत्तपरिसिट्ठाई १. पढमं परिसिहं गाहाको Jain Education International सुकाइ २६०गा. ५० २८६ गा. ८९ ५४६गा. १२५ पृ. २०५ टि. ३ ४५३गा. ११८ २६२ [४]गा.६९ २८५गा. ८८ २६१गा.६१ २६२[७]गा. ७४ २६२[७]गा.७५ २६० [३]गा. २९ २२६गा. २३ ३३२गा. ९५ २२६गा. २० २२६गा.२२ २२६गा. २१ २६० [१०]गा.४५ १६९गा. १३ ७४गा. ७ २९गा. २ ४४७गा. ११७ ३ २०६ [२]गा. १६ २६० [८]गा.४० ६०४गा. १३३ २६० [१०]गा. ४९ ५९९गा. १३१ २६२[१०]गा.८२ गाहा सुकाइ ३७९गा. १०९ ३९४गा. ११३ एएसिं पल्लाणं... ३७२गा. १०७ (उत्त० तं वावहारियस्स उद्धारसागरो०) एएसिं पल्लाणं... (उत्त० तं वावहारियस्स अद्धासागरो०) एएसिं पलाणं... (उत्त० तं वावहारियस खेत्तसागरो ० ) एएसिं पल्लाणं... (उत्त० तं सुहुमस्स खेत्तसागरो ० ) एएसिं पल्लाणं... (उत्त० तं सुहुमस्स श्रद्धासागरो०) एतेसिं पलाणं... ३९७गा. ११४ ३८१गा. ११० ३७४गा. १०८ (उत्त० तं सुहुमस्स उद्धारसागरो ० ) कत्तिय १ रोहिणि २ मिगसिर ३२८५गा. ८६ कम्मे १] सिप्प २ सिलोए ३ ३०२गा. ९२ किं १३ कविहं १४ कस्स १५ कहिं १६ किं लोइयकरणीओ कुरु-मंदर - भावासा केसी गायति महुरं कोहे माणे माया गण का य निकाए गण काय निकाए वि य गण काय निकाय खंध भम्मि पुव्वकोडी गंधारे गीतजुत्तिणा चउचलणपतिट्ठाणा चंडाला मुट्ठिया मेता छ होसे अट्ठ गुणे For Private & Personal Use Only ६०४गा- १३४ २६२ [६]गा.७३ १६९गा. १४ २६०[११]गा.५४ ५३३गा. १२४ पृ. ७२ टि. १ पृ. ७२ टि. १ ७२गा. ५ ३८७[५]गा.११२ २६०[५]गा.३४ २६०[४]गा.३१ २६० [५]गा.३८ २६० [१०]गा.४६ www.jainelibrary.org

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