Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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मूलसड़ो
अद्वपंचमाई
अद्धपंचमाणि
अदुभारं
अदभारो
अदमागी
अमाणीए
अद्धमाणीओ
असमं
अद्धंगुलयं
भंगुर्ल
०-अद्धा
श्रद्धासमए
अद्धासागरो
वमस्स
० - अद्धासु अनिष्फण्ण० -अन्तर्गतम्
बीयं परिलिट्ठ - सहाणुकमो
मूलसद्दो
अन्नमन०
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सक्कत्थो
सुतंकाइ
अर्धपञ्चमानि ३८४ [१] अर्धपञ्चमानिपृ. १५४टि. १
अर्धभारम् - उन्मान
विशेषम्
अर्धभार :
उन्मानविशेषः ३२२
अर्धमाणिका-रस
३३४
मानविशेषः ३२०,
५३० [२]
अर्धमाणिकायाम्
१९५[१-३],२०२ [२-३], पृ. ९६टि.७ अद्धे-कालौ ५३२
० - अद्धाओ अद्धा पलिभोवम० अद्धापल्योपम ३८०, ३८२ अद्धापलिभोवमं अद्धा पल्योपमम् ३७९ भन्दापलिभोवमे श्रद्धापल्योपमम् ३६९, ३७७, ३८०, ३७९तः ३८१,३९१[९],पृ.१५३
रसमानविशेषे ५३०
[२]
अर्धमाणिके- रसमानविशेषार्थे ३२०
अर्धसमम् २६० [१०]गा.
५२
५०८
अर्धाङ्गुलम् अर्धाङ्गुलम्
३५८
अद्धा - कालः १२७, १५४,
टि. ३
अद्धासमयः १३२, १३३, २१६[१९],२१८,२५०, २६९, २९२, ४०१ अद्धासागरोपमस्य
३७९ गा. १०९, ३८१
गा. ११०
अद्धासु कालेषु
५३२
अनिष्पन्न
४५५
अन्तर्गतम् ४४७गा. ११७
अन्नमन्नभासो
अन्नं
अनुन्नब्भासो
भन्ने
अनो
अपए
अपएसट्टयाए
अपभवकमे
अपज्जन्त
अपज्जन्त०
अपज्जत्तए
०-अपज्जत्तओ
अपज्जत्तग०
अपज्जन्सय
अपज्जन्त्तय•
अपज्जन्तयाणं
अपज्जन्ता
अपज्जन्त्ताणं
अपबिदा
rपडिवाइ
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३०१
सक्कत्थो
सुकाइ
अन्योन्य १६३,२०४[४], २०५[४], २०६[४],
२०७[४] अन्योन्याभ्यासः १३८,
१६३, २०४[४], २०५
[४],२०६[४],२०७[४]
अन्यत् २६२ [४] गा. ६९ अन्योन्याभ्यासः १९० टि. ८
पृ. १८९टि. ६
अन्यानि
अन्यः
५९९गा. १३० अपदः ८२, पृ. ७३ टि. २ अप्रदेशार्थतया ११४ [२-३],
१५८[२-३]
अपदोपक्रमः पृ. ७३ टि.
४-६
पृ. १०२ टि. १
पृ. १५६ टि. १,
पू. १५८ टि. १
अपर्याप्त
अपर्याप्त
अपर्याप्तकः
२१६[४] अपर्याप्तकः पृ. १०४ टि. १ अपर्याप्तक ३५१ [२-३],
३५२ [३], ३८२[२], पृ. १५८ टि. १
अपर्याप्तक २१६ [६, १३तः
१८],३८६[२,३] अपर्याप्तक २१६[६,७,
९तः१२],३५१[३],३८५
[१-४], ३८६ [१], ३८७
[२-४],३८८[३] अपर्याप्तकानाम् ३४९ [१२], ३५० [१-३], ३५१
[२-४],३८५[१-५] अपर्याप्ताः २१६[१०] अपर्याप्तानाम् पृ. १५३टि४,
पृ. १५४टि. १-२
अप्रतिबद्धा पृ. १७७टि. २ अप्रतिपाति
४७२
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