Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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वरणे
बीयं परिसिटुं-सहाणुकमो मूलसद्दो सक्कयत्यो सुत्तंकाइ । मूलसहो सकयस्थो सुत्तंकाइ चउसट्टीए चतुःषष्टया ३२८ चमरी
चमरीम् पृ.१७५टि.६ चउसट्रीओ चतुःषष्टिकः पृ.१३५टि.९ चम्मखंडिय. चर्मखण्डिकचउसु चतुर्यु ३५५[३]]
व्रतिविशेष २१ चउहत्थं चतुर्हस्तम् ३२४गा.९३ चम्मेदृग० चर्मेष्टका चकवट्टि चक्रवर्ति
चम्मेदृग-दुहण- चर्मेष्टका-द्रुघण-मुष्टिकचक्कवट्टिणा चक्रवर्तिना
मुट्टियसमाहय- समाहतनिचितगात्रचक्कवाट्टिमाया चक्रवर्तिमाता ३१० निचियगत्तकाये कायः चक्खुदरिसण- चक्षुर्दर्शनगुण
चरग०
चरकगुणप्पमाणे प्रमाणम् पृ.१७९टि.१
व्रतिविशेष २१,२७ चक्खुदंसण- चक्षुर्दर्शन
चरण.
चरण ६०६गा.१४१ गुणप्पमाणे गुणप्रमाणम् ४७१ ०चरणे चरणे २६२[२] गा.६४ चक्खुदंसणलद्धी चक्षुर्दर्शनलब्धिः २४७ चरित्त
चरित्र-चारित्र ४७२ चक्खुदंसणं चक्षुर्दर्शनम् ४७१ चरित्त०
चरित्र-चारित्र४३५,४७२ ०चक्खुदंसणा- चक्षुर्दर्शनावरणः
चरित्तगुणप्पमाणे चारित्रगुणप्रमाणम् ४७२
२४४ चरित्तज्झवणा चारित्रक्षपणा चक्खुदंसणिस्स चक्षुर्दर्शनिनः ४७१ ०चरित्तमोहणिजे चारित्रमोहनीयः २४१. चक्खुदसिस्स चक्षुर्दर्शनिनःपृ.१७९टि.२
२४४ चक्खुरिंदिय- चक्षुरिन्द्रियप्रत्यक्षम्
चरित्तलद्धी चारित्रलब्धिः २४१ पञ्चक्खे
चरित्ताए चारित्रायः चच्चर चत्वर
३३६
चरित्ताचरित्तलद्धी चारित्राचणगा चणकाः
चारित्रलब्धिः २४७ चतिय च्यावित
चरित्ती चारित्री
२८० चतुणामे चतुर्नाम २२७ चरित्तणं चारित्रेण २८० चतुप्पदेसिया चतुष्प्रदेशिकाः पृ.७६टि.२ चरिय
चरिका त्यक्त १७,३७,४८५,
चलण
चरण २६० [४] गा.३१ ५४१,५५२,५६३,५८५,
चलंत. चलन् ४९२[४]गा.१२० पृ.७५टि.३ चविय
च्यावित पृ.६६टि.६ चत्तारि चत्वारि २,७५,३३५,
चहिय(दे०)
स्पृहित ५०,४६९ ३४५, ३५०[३], ३५९,
चहिया(दे०)
स्पृहिताः पृ.६८टि.२१ ४०८[३], पृ.१६५टि.८, चंडाल. चाण्डाल पृ.११८टि.४
पृ.२०५टि.४ चंडाला चाण्डालाः२६०[५]गा.३८ चत्तारि चत्वारः ४९, २२६गा.
चन्द्र-चन्द्रनामकद्वीप१९,४६८,पृ.१३४टि.१
समुद्रार्थे १६९गा.१४ चत्तारि
चतस्रः ३१८, ३२८, चंद० चन्द्र २४९, पृ.१०२टि. ३५५[३], पृ.१४४टि.२
१,पृ.१७७टि.६ चमरं चमरम्
चंद-० चमरिं चमरीम् पृ.१७५टि.६ दण
चन्दन पृ.७३टि१.
चन्द्र
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