Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 674
________________ मूलसदो दीवा दीवाणं - दीवे दीवेिं दीवो दीहिय दिहिया दु० दुक्ख दुक्खक्खयट्ठाए दुक्खं दुगसंजोगा दुगा दुगुणक खडे दुगुणकालए दुगुणति दुगुनीलए दुगुणसुरभिगंधे दुगुणा ० दुग्गंधि दुग्गाए दु दुण्णि दु दुसण दुनामे दुपए दुपएसिए दुपएसिय-० दुपएसिया Jain Education International सक्कत्थो दीपात् द्वीपानाम् द्वीप: atri परिसि - सहाणुकमो मूलसड़ो दुपeसोगाढा दुगाढा दुपसोगाढे सुत्तकाइ ५५७गा. १२६ ३६० ५०८, ५३१ दीपयन्ति ५५७गा. १२६ दीपः ५५७गा. १२६ दीर्घिका पृ. १३६टि. १८ दीर्घिका ३३६, ४५१ द्वि ३६४ २४४ दुःख दुःखक्षयार्थाय ६०६गा. १४३ ५९९गा. १२९ दुःखम् द्विक्संयोगाः २५१, २५२ द्विकाः पृ. ११३ टि. ५ द्विगुणकर्कशः २२५ द्विगुणकालकः २२५ २२५ द्विगुणतिक्तः द्विगुणनीलकः द्विगुणसुरभिगन्धः २२५ २२५ द्विगुणा पृ. १४० टि. १ दुर्गन्धि २६२ [७] गा. ७५ दुर्गायाः पृ. ६३ टि. २३ द्विनाम २०८, २०९ द्वे २६० [१०]गा.५३ द्रुतम् २६०[११]गा.५४, २६९[११]गा.५५ दुर्दर्शन २६२ [७]गा. ७४ द्विनाम २१३, २१६ [१], २१६ [१९] द्विपदः ८०, पृ. ७३ टि. २ द्विप्रदेशिकः ६३, ९९, १०३, १३६, १३७, २१६[१९],२४९,३१५, पृ. ७१ टि.५, पृ. ८३टि.६ द्विप्रदेशिक ६७ द्विप्रदेशिकाः ९९, ११६, १२०,४०३ दुपदेसिए दुपदेसिया +दुपय दुपयं दुपया दुष्पि दुब्बलयं दुब्भ० दुभिक्खे दुभिगंध गुणप्पमाणे दुभिगंधे दुभियंत्रणा मे दुभिक्ख दुम दुयसंजोएणं दुयंदुरभिगंधगुण प्पमाणे दुरभिगंधना दुरभिगंधो दुरूव-० दुरू दुवालस For Private & Personal Use Only सक्कत्थो सुत्तकाइ द्विप्रदेशावगाढाः १४३ द्विप्रदेशावगाढानि १४७ द्विप्रदेशावगाढः १४३, १४७, १७७, ३३१, पृ. ९० टि. ३ १०३ १०३ २७१गा. ८३ ४४६ द्विप्रदेशिकः द्विप्रदेशिकाः द्विपदम् द्विपदम् ३७९ द्विपदानाम् ७९,८०,५६७ ४९७ द्विप्रभृति दुर्बलकम्२६२[९]गा. ७९ दुरभि पृ. १७३ टि. २३ दुर्भिक्षम् पृ. १७७ टि. १ दुरभिगन्धगुणप्रमाणम् पृ. १७३ टि. ३ दुरभिगन्धः पृ. १०६ टि.७, पृ. १७३ टि. २ दुरभिगन्धनाम पृ. १०६ टि. २ दुर्भिक्षम् ४५६ २२६गा. २१ द्रुमः द्विक्संयोगेन २५१ द्रुतम् २६० [१०] गा. ४७ दुरभिगन्धगुण प्रमाणम् दुरभिगन्धनाम दुरभिगन्धः द्विरूप ४३१ २२१ २२५ १६३, १६७, १७१, १७५ द्विरूपोनः १३४, १३८, १६३, १६७, १७१, १७५, २०१[४], २०२[४], २०३[४], २०४[४], २०५[४], २०६[४], २०७[४] ३३४, ३५९ द्वादश www.jainelibrary.org

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