Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३९२
मूलसड़ो
पण्णरस
पण्णरस
गच्छगयाए
पण्णवगं
+ पण्णवण
पण्णवणा
पण्णवणाए
पण्णवतं
पण्णवयं
पण्णविज्जइ
पण्णविज्जति
पतति
पतरस्स
पतरं
पतरंगुले
पति
• पतिट्ठाणा
पतिविसेसो
पतोयणं
पत्त०
पत्त०
पत्तट्टे
पण्णवियं
पण्णा
पण्णासाए
पण्डावागरण[धरे] प्रश्नव्याकरणधरः २४७ पहावा गराई
प्रश्नव्याकरणानि - जैनागमः ५० पृ. १३२टि. ६
पत्तय०
पत्तलक्खणे
पत्तहारए
पत्तं
*० पतं पत्ताणं
अणुओगद्दारसुप्तपरिसिट्ठाई
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सक्कयत्थो सुत्तंकाइ
पञ्चदश ३४७ [२-३],३६७ पञ्चदशगच्छगतायाम्
१७५
प्रज्ञापकम् ३६६, ३९७
प्रज्ञापना
- श्रुतैकार्थे
प्रज्ञापना
५१गा. ४
३७३, ३८०, ३९५, पृ. १६२टि.४
प्रज्ञापनायाः पू. १५३ टि. ३
प्रज्ञापकम् पृ. १४७टि. १३
प्रज्ञापकम्
३६६
प्रज्ञाप्यते
३९५
प्रज्ञाप्यते ३७३, ३८०,
५२२
प्रज्ञप्तम्
१७, ३७, ५९
प्राज्ञाः २६० [५]गा. ३४ पञ्चाशता ३९०[१-२]
पतति
प्रतरस्य ४१४,४२४[२]
प्रतरम्
३६१
प्रतराङ्गुलम्
३३८
पू. ६१ टि.७
प्रति प्रतिष्ठाना २६० [४] गा. ३१ प्रतिविशेषः ३३,५५,४८०
प्रयोजनम् पृ. ८७टि. २
पत्र
प्राप्त
प्राप्तार्थः
पत्रक ३९,५४३,५९६ प्राप्तलक्षणः
६०० पत्रहारकः पृ. १३१टि. १
पत्रम् ४९२ [४] गा. १२० प्राप्तम् ४९२ [४] गा. १२० पात्राणाम् पृ. १९९टि . ९
३२३
६००
३६६
मूलसड़ो
पत्थओ
पत्थग०
पत्थगदितेणं
पत्थगस्स
० पत्थडाणं
पत्थय
पत्थयदि तेणं
पत्थयस्स
पत्थयं
पत्थया
पत्थयो
पत्था
पत्थो
पद
पदस्थ -
पदत्थाधिकार • पदत्थो
पदविग्गहो
पदसंखा
पदं
पदुक्खेवं
• पदे
पदेणं
० पदे
पदेसणिपणे पदेसदितेणं पदेस निष्पण्णे पदेसनिफण्णे
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Rece
प्रस्थकः
धान्यमानविशेषः ४७४
प्रस्थक
४७४
प्रस्थकदृष्टान्तेन ४७४
४७४ :
३६०
४७४
प्रस्थकदृष्टान्तेन ४७३
प्रस्थ कस्य
पृ. १८१टि. ६
प्रस्थकस्य
प्रस्तटानाम्
प्रस्थक
प्रस्थकम्
प्रस्थकाः- धान्यमान
विशेषाः
सुकाइ
प्रस्थकः
प्रस्थाः- धान्यमान
पदे
पदेन
पदेन
विशेषाः पृ. १३३टि. ४
प्रस्थः
३१८
पद १८४,२६० [१०] गा.
४९
पदार्थ ७५ टि. ३ पदार्थाधिकार १७, ३७ पदार्थः ६०५गा. १३५ पदविग्रहः ६०५गा. १३५ पदसङ्ख्या
४९४
पदम् १४, २०७[४], ४८२, ५३९, ५४१, ५५० ५८३, ६०५, ६०५गा. १३५
पदोत्क्षेपम् पृ. ११९ टि.
२४
४७४ -
प्रदेशनिष्पन्नम्
प्रदेशनिष्पन्नम्
३१८
४७४
४२३[१] ६०५
२६७
प्रदेशनिष्पन्नम् ३३०,३३१
प्रदेशदृष्टान्तेन
४७६
३६३
३१४,
३१५,३६४
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