Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 693
________________ ३९८ मूलसद्दो पंचनामे पंचपलसतिया पंचम • पंचमस्सरमंता पंचमं पंचमिया पंचमी पंचमे पंचविहं पंचविहा पंचविहे पंचविहो पंचस्वच्छरिए पंचहिं पंचा सकयत्थो पञ्चनाम पञ्चपलशतिका Jain Education International सुकाइ २३२ पृ. १३४ टि. २ ४२३ [१] पञ्चमस्वरवन्तः २६० [५] गा. ३६ पञ्चम पञ्चविधा १४२,१८३,१९९, पृ. ९० टि. ३ पञ्चविधम् २१९, २२०, २२२,२२४,२३२,३१६, ४२९,४३०, ४३२, ४३४, ४३८,४७२ ४७६ ३६७ पञ्चभिः ३९०[३] पञ्चक पू. ११६टि. १ पांचदिओ पञ्चेन्द्रियः पृ. १०२ टि. १ पंचिंदियतिरिक्ख- पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकः जोणिओ अणुओगद्दार सुत्तपरिसिट्ठाई मूलसो पंचेंदियतिरिक्ख जोणिए पञ्चमम् २६०[२]गा. २७, २६०[३]गा.२९, २६० [४]गा. ३१ पाञ्चमिकी २६० [९]गा. ४१ २६१गा. ५८, २६१गा. ६१ पञ्चमः २६० [१]गा. २५ पञ्चविधम् १, ४०, ४३, ४४, ४४२ ९८, ११५, पञ्चमी विभक्तिः पञ्चविधः पञ्चसंवत्सरिकः पृ. १०२ टि. १ पंचिदिय [तिरिक्ख- पञ्चेन्द्रिय [तिर्य जोणिया ] योनिकाः ] पृ. १६५. ३ पंचिदियतिरिक्ख पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकानाम् जोणियाण पृ. १६५.टि. ८ पंचुत्तरपलसतिया पञ्चोत्तरपलशतिका ३२२ पंचेंदिय पञ्चेन्द्रिय ३५१[४] पंचेंदियतिरिक्ख पञ्चेन्द्रियतिर्यक् ३८७ [४] ० पंचेंद्रियतिरिक्खजोणियाणं ० पंचेंदियतिरिक्ख- पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकः जोणिओ पंचेंद्रियति रिक्खजोणिया पंचेंद्रियतिरिक्खजोणियाण पंचेंद्रियतिरिक्ख जोणियाणं • पंचेंद्रियाणं पंडर० पंडरंग पंडरंगए पंडरंगे पंडरे पंडियवी रियलद्धी • पंडुपत्ताणं पंडुयपत्तं पंडुरे पं० [] पं० [णत्ता ] सक्कयत्थो सुकाइ पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिकः For Private & Personal Use Only २१६[८-११] पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनिकाः पृ. १०२ टि. १ पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनि कानाम् ४२२[१] पञ्चेन्द्रिय तिर्यग्योनि कानाम्३५१[१],३८७ [१], ४१०, ४२२ [२] पञ्चेन्द्रियतिर्य ग्योनिकानाम् ४०४ [२,४],३८७[२-४], पृ. १५६ टि. १ पञ्चेन्द्रियाणाम् ३५१ [२-४], ३८७[३] पाण्डुरङ्गः- प्रतिविशेषः पाण्डुकपत्रम् २२ पाण्डुर पाण्डुराङ्ग- व्रतिविशेष २१ पाण्डुराङ्गकः - व्रतिविशेषः ૨૮૮ पाण्डुरे प्रज्ञप्ता ३५१ पृ. १२८ टि. ८० पृ. ६३ टि. ८ पाण्डुरे पण्डितवीर्यलब्धिः २४७ पाण्डुपुत्राणाम् ४९२[४] गा. १२२ ४९२[४] गा. १२१ २० ३८३[२-३], ३८४[१], ३८८ [१], ३९१[२,८], ४८१, ४८४, पृ.१४४टि.२ प्रज्ञप्तानि ४०५तः४०७, ४१४तः४१६, ४२०[१], ४२५[१-२],पृ.१६५टि. ८ www.jainelibrary.org

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