Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
View full book text ________________
३४०
मूलसद्दो
खीणअसायवेयणिजे खीणअसायावेय- क्षीणा सातावेदनीयः
अणुओगद्दारसुप्तपरिसिट्ठाई
णिज्जे खीणआभिणिबोहियणाणावर खी उच्चागो
खीणओहिणाणा- क्षीणावधिज्ञाना
वरणः
वरणे वरण: खीणओहिदंसणा - क्षीणावधिदर्शनावरणे खीणकेवलणाणा- क्षीणकेवलज्ञानावर खीणकेवलदंसणा क्षीण केवलदर्शनावरणे
वरणः
खीणको
arrate
खीणचक्खुद
खीणनिद्दा निदे
खीणनि
Recet
क्षीणा सातावेदनीयः
स्त्रीणपयलापयले
खीणपयले
खीणपेजे
Jain Education International
सुकाइ
२४४
पृ. ११० टि. ४
क्षीणाभिनिबोधि
कज्ञानावरणः २४४ क्षीणचैत्रः २४४
वरणः
क्षीणक्रोधः
क्षीणगोत्रः
क्षीणचक्षुर्दर्शनावरणः
२४४
२४४
२४४
सावरणे खीणचरित्तमोह- क्षीणचारित्रमोहनीयः णिजे aणीयागो खीणणेरइयाउ क्षीणनैरयिकायुष्कः २४४ खीणतिरिक्खजो - क्षीणतिर्यग्योनिका युष्कः
क्षीणनीचगोत्रः २४४
णियाउए खीणथी गिद्धे खीणदंसणमोह
णिज्जे खीदाणंतराए
खीणदेव उ
खीणदो
खीणनामे
२४४
२४४
२४४
२४४
२४४
मूलसद्दो
खीणभोगंतराए
खीणमणपज्जव
णाणावर
२४४
क्षीणस्त्यानर्द्धिः २४४ क्षीणदर्शनमोहनीयः
सक्कयत्थो सुतंकाइ क्षीणभोगान्तरायः २४४ क्षीणमनः पर्यवज्ञानावरणः क्षीणमनः पर्यायज्ञानावरणो वा २४४ क्षीणमनुष्यायुष्कः २४४
खीणमणुस्साउए
२४४
खीणमोहे खीणलाभंतराए
क्षीणमोहः क्षीणलाभान्तरायः २४४
२४४
खीलोभे क्षीणलोभः खीणवीरियंतराए क्षीणवीर्यान्तरायः २४४ खीणवेयणे
२४४
क्षीणवेदनः क्षीणसातावेदनीयः
खीणसाया
वेयणजे
खीणसुभनामे
खीणसुय
खीणंतराए
वीणाउए
वीणावरणे
वीणासुभनामे खीणुव भोगंतराए
खीणे
णाणावरणे
खुजे
खुड्डिमा
२४४.
क्षीणदानान्तरायः २४४ खुड्डिया क्षीणदेवायुष्कः
२४४
क्षीणद्वेषः
२४४
खुद्दया
क्षीणनामा
२४४
क्षीणनिद्रानिद्रः २४४ खुरधारं
क्षीणनिद्रः क्षीणप्रचलाप्रचलः २४४
२४४ खुरी
खुरेणं
क्षीणप्रचलः
क्षीणप्रेमा
२४४ खे
२४४
do
[र] •
खेड
For Private & Personal Use Only
पृ. ११० टि. ३
क्षीणशुभनामा २४४ क्षीणश्रुतज्ञानावरणः
२४४
क्षीणान्तरायः २४४
क्षीणायुष्कः
२४४
२४४
क्षीणावरणः क्षीणाशुभनामा क्षीणोपभोगान्तरायः २४४
२४४
क्षीणः ३७२,३७४,३७९,
३८१,३९४,३९६
क्षीरवर - एतन्नामकद्वीपसमुद्रार्थे १६९गा.११
कुब्जम्
संस्थानम् २०५[२] क्षुद्रिमा- गान्धारग्रामस्य मूर्छना २६० [९]गा. ४१ क्षुद्रिका - गान्धारग्रामस्थ
मूर्छना पृ. ११८ टि. १०
क्षुद्रिका - गान्धारग्रामस्य
मूर्छना पृ. ११८ टि. १०
३४३ [१]
२७१गा. ८३
४४६
पृ. १३२टि. १२
२६७, ४७५
क्षुरधाराम्
खुरी
खुरेण
खे
खेट
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652 653 654 655 656 657 658 659 660 661 662 663 664 665 666 667 668 669 670 671 672 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706 707 708 709 710 711 712 713 714 715 716 717 718 719 720 721 722 723 724 725 726 727 728 729 730 731 732 733 734 735 736 737 738 739 740 741 742 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756 757 758 759 760 761 762 763 764