Book Title: Nandisutt and Anuogaddaraim
Author(s): Devvachak, Aryarakshit, Punyavijay, Dalsukh Malvania, Amrutlal Bhojak
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३०३
अयं
बीयं परिसिटुं-सहाणुक्कमो मूलसहो सक्यत्यो सुत्तंकाइ । मूलसहो अभवसिद्धया अभवसिद्धिकाः पृ.११२ अमोहा
टि.११ भभवसिद्धिएहिं अभवसिद्धिकैः ४१३ अभवसिद्धिया अभवसिद्धिकाः २५०, अमोहे
५१७तः५१९ अम्हे अमिई अभिजित् २८५गा.८८ +अय अभिगमणट्रयाए अधिगमनार्थतयाअधिगमनार्थम्
अयणं
पृ.२०४ टि.४ अयणाई अभिगमणत्याए अधिगमनार्थम् ६०५ अयणे अभिणंदणे अभिनन्दनः-तीर्थङ्करः।
२०३[२] अभिमुहणामगोत्तं अभिमुखनामगोत्राम् ४९१ अभिमुहणामगोत्ते अभिमुखनामगोत्रः ४८७ अयिरोद्द अभिमुहनामगोत्तं अभिमुखनामगोत्राम् ४९१ अरहंत० अभिमुहनामगोत्ते अभिमुखनामगोत्रः ४९० अरहंतमाया मभिरुवा अभिरूपा-मध्यमग्रामस्थ अरहंता
__ मूर्छना पृ.११८टि.९ अरहंतेहिं अभिलावेणं अभिलापेन पृ.७५टि.३ अरहा -अभिलावेणं अभिलापेन पृ.१६१टि.१० अरिटणेमी अभिलावो अभिलापः पृ.९४टि.३,
पृ.२००टि.२ अरुणवरे अभिलावो अभिलापः २०० -अभिलावो अभिलापः पृ.९७टि.१ अरूवि० ०-अभिलावो अभिलापः पृ.६९टि.६ अरे -अभिलास अभिलाष २६२[३] अलत्तए
अलभमाणं अभीरू अभीरुः-मध्यमग्रामस्थ अलंकारं
मूर्छना २६०[८]
गा.४० ०-अलंकाराणं -अमञ्च अमात्य
अलंकित अमातिवाहए अमातृवाहकः २६५ अलंकिताई अमादिवाहए अमातृवाहकः पृ.१२४ अलंकियं
टि.९ अमिलियं अमिलितम् १४,६०५ ०-अलंकियाणं अमुग्गो
अलाउए ममुद्दो अमुद्रः
अलालं
सक्कयत्थो सुत्तंकाइ अमोघाः-आदित्याधउपलभ्यमानाः श्यामा
दिरेखाः २४९ अमोहः
२४४ वयम् ४९२[४]गा.१२१ अजः-नक्षत्रदेवताविशेषः
२८६गा.९० अथनम्
३६७ अयने अयनम् २०२[२],५३२ अयम् १७,१८,३७,३८, ६०,४५०,४८५,४८६,
५४१,५४२,५८६ अतिरौद्र पृ.१२२टि.१२ अर्हत्
४६२ अर्हन्माता पृ.१३२टि.१ अर्हन्तः ४९२[२] अर्हद्भिः ५०,४६२,४६९ अर्हन्
२४४ अरिष्टनेमिः
तीर्थङ्करः २०३[२] अरुणवरनामानौ द्वीप
समुद्रौ १६९गा.११ अरूपि ४००,४०१ अरः-तीर्थङ्करः २०३[२] अरक्तकः अलभमानम् ४५६ अलङ्कारम् २६०[५]
गा.३३ अलङ्काराणाम् पृ.१९९टि.५ अलङ्कृत पृ.१२९टि.१७ अलङ्कृतानि पृ.१२९टि.१७ अलङ्कृतम् २६०[१०]गा. ४८, २६० [१०]गा.५१ अलङ्कतानाम् ५६९ अलाबुकम् अलालम्
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