Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Acharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan

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Page 458
________________ द्वादशा-परिचय अंतगडदसासु णं परित्ता वायणा, संखिज्जा अणुयोगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जारो निज्जुत्तीग्रो, संखेज्जास्रो संगहणीग्रो, संखेज्जायो पडिवत्तीयो। से णं अंगट्ठयाए अट्ठमे अंगे, एगे सुअक्खंधे, अट्ठ वग्गा, अट्ठ उद्देसणकाला, अट्ट समुद्देसणकाला, संखेज्जा पयसहस्सा पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंता गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्धनिकाइया-जिण-पण्णत्ता भावा आपविज्जति, पन्नविज्जंति, परूविज्जंति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जंति, उवदंसिज्जंति ।। से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरण-करण परूवणा आधविज्जइ, से तं अंतगडदसाम्रो ॥सूत्र ५३॥ छाया-अथ कास्ता अन्तकृद्दशाः ? अन्तकृद्दशासु अन्तकृतां नगराणि, उद्यानानि, चैत्यानि, वनखण्डानि, समवसरणानि, राजानः, मातापितरः, धर्माचार्याः, धर्मकथाः, ऐहलौकिक-पारलौकिका ऋद्धिविशेषाः, भोगपरित्यागाः, प्रव्रज्याः, पर्यायाः, श्रुतपरिग्रहाः, तप उपधानानि, संलेखनाः, भक्त प्रत्याख्यानानि, पादपोपगमानानि, अन्तक्रिया, आख्यायन्ते । अन्तकृद्दशासु परीता.वाचनाः, संख्येयान्यनुयोगद्वाराणि, संख्येया वेढाः, संख्येयाः श्लोकाः, संख्येया नियुक्तियः, संख्येयाः संग्रहण्यः, संख्येयाः, प्रतिपत्तयः। _____ता अङ्गार्थतयाऽऽष्टममङ्गम्, एकः श्रुतस्कन्धः, अष्टौ वर्गाः, अष्टावुद्देशनकालाः, अष्टौ समुद्देशनकालाः, संख्येयानि पदसहस्राणि पदाग्रेण, संख्येयान्यक्षराणि, अनन्ता गमा,, अनन्ता पर्यवाः, परीतास्त्रसाः, अनन्ता: स्थावराः, शाश्वत-कृत-निबद्ध-निकाचिता जिन प्रज्ञप्ता भावा, आख्यायन्ते, प्रज्ञाप्यन्ते, प्ररूप्यन्ते, दय॑न्ते, निदर्श्यन्ते, उपदर्श्यन्ते । स एवमात्मा एवं ज्ञाता, एवं विज्ञाता, एवं चरण-करण प्ररूपणाऽऽख्यायते, ता एता अन्तकृद्दशाः ।।सूत्र ५३॥ भावार्थ-शिष्यने पूछा भगवन् ! वह अन्तकृद्दशा-श्रुत किस प्रकार है? आचार्य कहने लगे-अन्तकृद्दशा में अन्तकृतकर्म अथवा जन्म मरणरूप संसार का अन्त करने वाले महापुरुषों के नगर, उद्यान, व्यन्तरायतन, वनखण्ड. समवसरण, राजा, माता-पिता, धर्म आचार्य, धर्मकथा, इस लोक और परलोक की ऋद्धिविशेष, भोगों का परित्याग, प्रव्रज्या-दीक्षा और दीक्षा पर्याय. श्रुत का अध्ययन, उपधान तप, संलेखना, भक्त-प्रत्याख्यान, पादपोपगमन, अन्तक्रिया-शैलेशी अवस्था आदि विषयों का वर्णन है।

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