Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Acharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan

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Page 477
________________ ३३६ नन्दी सूत्रम् मत में अच्युत-च्युत, च्युताच्युत शब्द प्रचलित हों । इसमें छ चउक्कनइचाई, सत्ततेरासियाई, यह पद दिया है, इस का भाव यह है कि आदि के छ परिकर्म चार नयों की अपेक्षा से वर्णित हैं, इन में स्वसिद्धान्त का वर्णन किया गया हैं, सातवें परिकर्म में त्रैराशिक का उल्लेख किया गया है । वैसे तो समुच्चय सातों प्रकरणों में यत्किंचित् रूपेण त्रैराशिक का ही वर्णन मिलता है । परन्तु उन में उस की मुख्यता नहीं है । जीव- अजीव और जीवाजीव इस प्रकार तीन पदार्थ, तीन नव को मान्यता रखने वाले मत को ही राशिक कहते हैं । २. सूत्र मूलम् - से किं तं सुत्ताइ ? सुत्ताइं बावीसं पन्नत्ताई, तं जहा १. उज्जुसुयं, २. परिणयापरिणयं, ३. बहुभंगि, ४. विजयचरियं, ५. प्रणंतरं, ६. परंपरं, ७. ग्रासाणं, ८. संजूह, ६. संभिण्णं, १०. ग्रहव्वायं, ११. सोव - त्थिश्रावत्तं, १२. नंदावत्तं, १३. बहुलं, १४. पुट्ठापु, १५. विश्रावत्तं, १६. एवं - भू, १७. दुयावत्तं, १८. वत्तमाणपयं, १६. समभिरूढं, २० सव्वग्रोभद्दं. २१. पस्सासं, २२. दुप्प डिग्गहं । इच्चे बावीस सुत्ताइ छिन्नच्छेअनइआणि ससमय सुत्तपरिवाडीए, इच्चेइप्राइ' बावीसं सुत्ताइ प्रच्छिन्नच्छेअनइप्राणि श्राजीविनसुत्तपरिवाडीए, इच्चेइनाइं बावीसं सुत्ताई तिगणइयाणि तेरासि - सुत्तपरिवाडीए, इच्चेइप्राइं बावीसं सुत्ताइं चउक्क- नइप्राणि ससमयसुत्त परिवाडीए । एवामेव सपुव्वावरेण अट्ठासीई सुत्ताइं भवतीतिमक्खायं से तं सुत्ताई । छाया - अथ कानि तानि सूत्राणि ? सूत्राणि द्वाविंशतिः प्रज्ञप्तानि तद्यथा १. ऋजुसूत्रम्, २. परिणताऽपरिणतम्, ३. बहुभङ्गिकम्, ४. विजयचरितम्, ५. अनन्तरम्, ६. परम्परम्, ७. आसानम्, ८. संयूथम्, ६. सम्भिन्नम्, १० यथावादम्, ११. स्वस्तिकावर्त्तम्, १२. नन्दावर्त्तम्, १३. बहुलम्, १४. पृष्टाष्टम्, १५. व्यावर्त्तम्, १६. एवम्भूतम्, १७. द्विकावर्त्तम्, १८. वर्त्तमानपदम् १६. समभिरूढम् २०. सर्वतोभद्रम्, २१. प्रशिष्यम्, २२. दुष्प्रतिग्रहम् । इत्येतानि द्वाविंशतिः सूत्राणि छिन्नच्छेदनयिकानि स्वसूत्रपरिपाट्या, इत्येतानि द्वाविशतिः सूत्राणि अच्छिन्नच्छेदनयकानि आजीविक-सूत्रपरिपाट्या, इत्येतानि द्वाविंशतिः सूत्राणि त्रिक-नायिका नित्रैराशिक -सूत्र - परिपाट्या, इत्येतानि द्वाविंशतिः सूत्राणि चतुष्क- नयिकानि

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