Book Title: Nandi Sutram
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Acharya Shree Atmaram Jain Bodh Prakashan

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Page 481
________________ नन्दीसूत्रम् भावार्थ-शिष्य ने पूछा-भगवन् ! वह पूर्वगत-दृष्टिवाद कितने प्रकार का है ? आचार्य उत्तर में बोले-भद्र ! पूर्वगत दृष्टिवाद १४ प्रकार का है, जैसे -१. उत्पादपूर्व, २. अग्रायणीयपूर्व ३. वीर्यप्रवादपूर्व, ४. अस्तिनास्तिप्रवादपूर्व, ५. ज्ञानप्रवादपूर्व, ६. सत्यप्रवादपूर्व, ७. आत्मप्रवादपूर्व, ८. कर्मप्रवादपूर्व, ९. प्रत्याख्यानप्रवादपूर्व, १० विद्यानुप्रवादपूर्व, ११. अबन्ध्यपूर्व, १२. प्राणायुपूर्व, १३. क्रियाविशालपूर्व, १४. लोक, बिन्दुसारपूर्व । १. उत्पाद पूर्व के दस वस्तु और चार चूलिकावस्तु हैं । २. अग्रायणीय पूर्व के चौदह वस्तु और बारह चूलिकावस्तु हैं । ३. वीर्यप्रवादपूर्व के आठ वस्तु और आठ चूलिकावस्तु हैं । ४. अस्तिनास्ति प्रवादपूर्व के अठारह वस्तु और दस चूलिकावस्तु हैं । ५. ज्ञानप्रवादपूर्व के बारह वस्तु हैं। ६. सत्यप्रवाद पूर्व के दो वस्तु प्रतिपादन किये गए हैं। ७. आत्मप्रवादपूर्व के सोलह वस्तु हैं । ८. कर्मप्रवाद पूर्व के तीस वस्तु कहे गए हैं। ६. प्रत्याख्यानपूर्व के बीस वस्तु हैं। १०. विद्यानुप्रवादपूर्व के पन्द्रह वस्तु प्रतिपादन किए गए हैं । ११. अवन्ध्यपूर्व के बारह वस्तु प्रतिपादन किए गए हैं । १२. प्राणायुपूर्व के तेरह वस्तु हैं। १३. क्रियाविशालपूर्व के तीस वस्तु कहे गए हैं । १४. लोकबिन्दुसार पूर्व के पच्चीस वस्तु हैं। संक्षेप में वस्तु और चूलिकाओं का वर्णन प्रथम में १०, द्वितीय में १४, तृतीय में ८, चतुर्थ में १८, पांचवें में १२, छठे में २, सातवें में १६, आठवें में ३०, नववें में २०, दसवें में १५, ग्यारहवें में १२, बारहवे में १३, तेरहवे में ३० और चौदहवें पूर्व में २५ वस्तु हैं। आदि के चार पूर्वो में क्रम से-प्रथम में ४, दूसरे में १२, तीसरे में ८ और चौथे पूर्व में १० चूलिकाएं हैं, शेष पूर्वो की चूलिका नहीं है। ___ इस प्रकार यह पूर्वगत दृष्टिवादाङ्ग श्रुत का वर्णन हुआ। टीका-इस सूत्र में पूर्वो के विषय में वर्णन किया गया है । जब तीर्थंकर के सभीप विशिष्ट बुद्धिशाली, लब्धवर्ण, उच्चकोटि के विद्वान, विशिष्ट संस्कारी, चरमशरीरी, प्रभावक, तेजस्वी, स्व-पर कल्याण

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