Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor

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Page 16
________________ सहस्रमुकट राजा व्यापाली सेनासहित ३२ सद्यतेवर सहित परखौ १२ सहस्रमाता १० दशा साटी ३॥ कोमकर मस यादवारोपरवार १८ को मंग मर्दनीक २८ को धारा १५ लामो जनस्बोनक अटी लादीवटीया ४२ ला संग्राम कनी सांल बै: एको सामानिकनी साल ५ को जाथता का घंटाचारादिकसहित२६ कोम ३२ बंधनाटक नाकरण हार इत्यादिसबसे ना समथर देवान तिसै प्रस्तावै तेदेवता तिलजबाटै एकका लास्वाननो रूसग सो समय विरूपको विकासी दां तस मलिकरावीचे एतले श्रीमुरारिश्रा नेमिनाथ जाने वा दवानापायक प्रभु सेनाले २ जायबागल थकिते नाथ जालानेटकाने राजपंथ बोमा नथनमै २ चालता सेना जिवारे श्रीकृष्ण जी इंदी बाते देवाने बोलै एहमे न्यालोक कि मरल्पा राजपंथ बोनै तिवारैते को एक पुरुषे कहियो स्वामी स्वाननीधिक बली बैतेषमीन थी जातीतेतली सेन्पालो कम घाटमा बैतिवारे जे कृष्ण जी राजदारिक शरीरमा -सा-सतो समय विमल जालाने चितौ वारी धिराबैतेनानक राजमार्गबी मुरारिमाय होज चाल्पाले नाना सैगयो तिहांसबंगिनिंदणी कजाती नै विमासताथ कांष्टिरिष्टरतनपायदांत समी----34 काफलशरिषाविचारानैवमापा सबसेन्पामध्येतिवा रेतेदेवता स्वयंमेवसायको वचन सांजली----ति-ल-देवता चितमौ जेश्री कृष्ण जी वासदेव जे हवो गुलया ह साममौ तो हवा हो जगुल जाएगा जे श्रीकृष्ण सम बस २-१-4-ऊंतातिहोए चारा ममामतो जाणवैराग्यावा लीनै सर्बन वंदना करताथका ४ नारकी नादल वाका तोडाया श्री--नेमनाथ सघली रलव दल कधी चै देवता सारा श्री कमजोधर्म कथा सांगली नैघरे मातिना रेतेदेवतारं बलीदेशात नोरूपकरी नै अमरल लोक देवता १६ चोतिवारे लो कनकादिकले ३२ नै संनाह१ २ नीकल्पाजाई अन्मातेस सेननै कर बैजलो कानै जी ताने श्रीकृष्ण जीआमा विम सदर जायतेत जे श्री कृष्ण जी पचा ने बोला मौकाले जाइबै बोमदेवो तिनार बोलियनलाई लेजाबुबु म्हेजुरूजीवा नैकाइनल्पौ एत लौकही या निरंतर श्रीकृष्ण जीनला २ युधनानामली थी गुरवोहियादिक तेनामै नै तिवारै श्रीकृष्ण जी करफ तो ही जक हैः। तिवारैति कफ आपण बे जलाए बो कमि र खै र ज स्पा तिबारै श्रीकृष्णजीला ज्या बली कलौ अलेजावो वलि इस्पुनी चयुधन क रु तिवारैति होते देवताहरष्यौ तेदेवरूप करानै श्रीजीतारै आव गेलाग सर्वविरतंत कलौ देवनोदनि जो कानें जें देवद इनिश्री मयं निफल नऊ तिते देवता मानव श्री जीवरमाग्यौ तिवारैते देवता द्वारका नगरी म रोगमा वीज जाला नैचंदन नी एकभेरी प्राथी तेहल जी एक पुरुष पब है मासे एक दिन एक वारते व जावै तिवारइते साल हरनो रोग पान लो जाइ आगलौज पस

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