Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor

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Page 110
________________ यतननाम: नानाम समोसा अधिकार ० परलोक संबंधी यानाम पादहाली काल नवो कषा जायन: संसारती प्रेतकारी जोबनै जालना तेवैलतेयदा वन स°तिर्थंकर रावराजानानाम धर्मकथा धर्माचार्य इहलोक अंतः नगरनाना१:३० माता नानामवि नानाल নানাপ उद्यानानाम: क्लीविशेष qamaค दसातदशा नगरा उद्यालायाने श्यावा व संकायमा सरलाई रा या अम्मा पियरी | धमाक ३० मनोविशेष ज्ञान | सुन | तान कर मायरिया । इह जोग पर जोगा/इटी विरोमो / नगरिचाया । पञ्चयानी परियागा। लयपरिगाह। तवोवण आत्मानैरु | पाण्पादोपदं०देवलोकनैविषर रुजलील नैविषइ १०बला बोबोधनीजतेस अंतरि पयषालकरवोः floa १०जवत खत्र फक्त नाधर्मनीतिवामस्याक संलेहुणान/ तपचरकालाई पाउवगमलाई देवलोग गमलाई मऊल पचाईयान / लबो हिलोना। ता अतकिरिया आप सामान्मञ जा० मानतवाद मेसो वा । पाती संता द्वार ते संध्याता | बारले : संध्याता किरियाजय ॥ आघविजति॥जाकात गदमा फल संष्माता सिण्डलो संपातासंसंयहलानी कहिवाथको थाप्पा अर्थ कतेअनुशन गाथा अर्थ: संसंध्या नोजोम वोते युक्तसचार्थ aca ती नियुक्त सत्र : विशेष जो चोअर्थजाल संवेद्या सिलोगा। संखेद्यान संग्रहणी | संखेद्यान निजुग तिना सखेद्यान 9 निति मावतिषयम नासा | ऑक्मदेशना वर्णनापेक्षा इतलो: 9 उदेशना सामान्पार्थक हिवाः शेषार्थक हिना J महाकवे १०१वाना१२माल कसा बैः १०१यंगे सुथर अध्वगा। 91 6 देसल काला ॥ मुदे काला ॥ सरखे द्यावय महमाई | युगोल दाना संष्पा ताअक्षर अनंता गाता पनि । १०१रिता ते अनंतान या वसवे या दिकमनता) यावरते वनस्पती सहित बे: सा संखेद्या। अरकरा ॥ गतागमा ॥ अलता पवारितात साता यावर सासय ४ पलेकरी ने सारव बावना सुयोग संख्याता परिता वाया सखेद्या । अउग दारासंखे द्यावे टा वौः संख्याती पर एक यावत् से०तेहग एगे एकेाय दशविधइत्यादिकवि पलैप्र.क बर स्कंध स्कं २. विशेष आठमो ga: मेलां गया। मेगे। एगे संता १०१ एत २३लाच्मनेबला ४ ताबे TAR

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