Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor

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Page 115
________________ नंदी. सूत्र ५८ षविपाकनामविपाकयाना कितनामता सेन्ते एहनाऽण्ड सेतेायहिये कि किम् कला षविपाकमध्येक समविपाक नामवंत तर हे गौमः हन लान ले पाया लिन वोहियंत मानिद्यति। सेतेंड (विवागाएं सिकिंतानी नागाविवागेसो उनतेनवनषक जे चैत्पतेय ससमोर राजाना मातानामा कलावैः धर्म धर्माचार्य नाना नमनाना नानामकला दायतनादि नानामकला नामक कलावैपि कथा नोकहि मकवा as ककला वै a लाबै तानानाश न या 币 रिया । इहलो गाईया | परलो गाईया । म कलावैः विवागानगराच्छालाई शवलाई चिया । समो सरणारायामपियरो धमकाना धाय इहलोकसंबंधी परलोकसंबंधी राजा कनोवि भोगनोपरत्याग १०११ ज्यादिकाला भी वैदिकानो तप्नीकर ना शेषको तेबाना बेदानो काल लवो बोधान विविशेमा जोगपरिचायुग 19व्या रियायगा। परिगाह नो १२वारप्रति •मलेषणात जाताना पाण्पादोपगमन | दे देवलोके ऊपज वो ना१२१जाऊ मानो कहिवो: नोकरी क्वमालकरखी अलसल: तिशय कावनीन नीतेश्रेलि जनै तवो वहाणारी सले हाउ 9रकालाई पाउनगमलाई देवलो गगमलाई । परंपरा विषइक गलिती संष्पाता जव बली बोहि बोधबीज अतक्रिया नो तो जानते जिनधर्मनाश्रमि करवन उपनिपात्र नै पावानला: नुयोग धार अलपचाईया ॥ लबो हिलानी। अंत किरिया या आघविद्यति। विवागाय१रिता बायणा । संखे उपदेश से संध्याताटाते संध्यातासि ब्लो कतै गाथा | संध्यातात अर्थले संग्रह सं संध्याता नियुक्त तेथार्थनामवतार / बदेविशेष नास्वनाविशेषक हो कार बोयुक्त विधिमेल छाउगरा ॥ संखे द्यावेटा / संखेद्या सिलोगा ।। ॥ संखे जा संग्रहणी ॥ सरखे जान निजुगति । संखे वाष्पाली एक रबर वयात मेते एगार्थते अंग एकारसमो लौ१९) दो० तेहना दोयमश्रुत स्कंध वास द्यान परिक्त्तीरे ॥ वासता जाल से अंगहायाए । श्रीने एकारसमे अंगे।ा दोसत्यकं धानीस ले सामान्य कारक दिक का स्कंधना S-भूमिकल 15° कुर्लनसम नइ विषइऊ ना राम ननगरना नामक सा आ० सामान्य अध्ययन बाऊऊमरादिकना विवर ५८

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