Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor

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Page 126
________________ 'साबै: रुपाकडे : द निदेउदृष्टांतेकरी उसामान्यपणे सेवते ए० इम आत्मा क्रिया । जागनो एण् इमजे नग्मा इमवरण तेपां १० नामते हनेजा माकरानैदक्षा घाणाविशेषेकरी करीनैनपदेस्मा तकियावंतजाम ननपाय की विशेषविचमाखतादि बेकरी रक बै: तमदेचाबै: देषाम्याबै: ना. जेपनादिकना जापान नोजाईकनाबोल विजति पर विद्यति । देसी छेति निदसीति उन सीति मे एआय)। एवनाया/ एवं विलाया। एवंचर ककरते विम विश्रादि आसामा सेन्तेएटटिव एहिजा नाम करने दियेनायनि 90 जावा दिवस मना कनाड बोलक साबै: पलैक बारमो अगा प्रत्येक दादा गलधरानेपि रत्ना मनाने लाना नाअवरना १० असणा: जालना : का १२ गगलिक नापेटासमान अनतनावब उपेदाइ लकर आधविद्यति/सेतदिधिवाए। श्वे श्यामी डबाल सग गलियां तानावा आणताना भावले जेा तनहीनता हेक- देउच मृत्यवमादिक नीताकारण मानताने दजालवा० पोतानी पोताने पर यादिकय हल जालवा जिमघटना का रवि जिमते तेजिम मृत्यवं बैटन अनंता जीवा पालघरचा तेजा उपेक्षाये नै नेता हेतू अनेताका एतंमय घटादिकखनोकारव ਕਰੋ: ਆਜੀਵੜੇ वा अलता हे अता हे कुता कारण अपता का रा/अनता जीवात जीवा / जुनता तेल अनंता बैतेावा अनंत अनंता सि६ सिद्धिमेतिष्टामै कयाः सर्वना संय बली जनतास नंताब पिलाना जन्ममियाजी अर्थरचनता पण सिद्धते संसारी जीव अर्थनागाथा कब: नाव छियाजी अनाधिकः वमोह जानानाबैवते हनो तेसजालकृति एतला सर्वनगवंतः परुणा नावमैानावः महे नावसिद्दिया/ तानावसिद्धिया तासिलता/संग ही गाहा/जावृमनाव हेतु / महे कारण प्रकार जीवनैनमजीव१त. तिवारे पर्ने सिद्धांतना जानते मोद कलाः आचा रंगादिकादशा गीत एल्वारे जीव जीव ८ सन्न मोहता नै संसारा जीव १२ बारे घरे कलाइयादिक एहवा दावा अंग्रेजाणवा आवाना वि. रत्नाना पेटी कारण कारण जीना चाजिया नविन विया ततो मिसिया इवेईमाई बालसंग लिवहिगंती समान काल तीन अतीत काला नागत काल २ वर्तमानकाल रातः परूपे जमाली वत्वच्यार४ अंतिबेाबैसारतेनादित नंती जीवाम्पा विराधीषंकानैते जिम श्रीजिनभाषित सूत्र की ०४ लाष जी बायोनिक्स एव संसाररूपः के तार इत्यादिक यकाल अलता जीवाता/अलविरा ही चाकर तमसार कंतारे परिणति तेनो विचार होजयत्पदक स Zac

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