Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor

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Page 119
________________ ६० केलतपतिय | संसारवतिय / नंदावन १० । उसमानाका ते ९०३पसेपादन । अलियापरिक ॥नादेस केनयमिक|संसार१निगानंदावतारसपातारासकिंतसंपलासेलियापरि सेन्तेएकिकिवियना तिरंकरहगोतारकहनापाररहला तानसामानर्थाचाकाजापा २ लिगणिनाकाक्तिलतेयस विषजहाना/4 करमाकोरलिक पर कीसिकिदिषजहालियावरिकामे/२एकारसमितीतजापाटोपयाआगासययात्रा केके राशिवधा एकरण दियण केरलतपतियहर । संसारतियह निंदाला त । केउतावारासिवद्याधाएगगुणगुणतिलाकेकन्नयपरिगामसारपरिगामदा विपतहलावताण्तेएकि-किस विष्पना सतत् अथास्वैकिम्बुयामानविलियमायोग्यपरिकलिहनायनाम: 2.लियारिका - जालनातेयसवतरक गोतमारपरिकनारा panjaqजहावतारएसेकिताaqजहाणीया रिकामामकिंतंचयाचुयलियापरिकार पारेएलेप्पा तेजिमोतिपादा१६ | त्राआकाश । कैलता राशिबंधा एकरण गुण | प्याकलाबैकरे. कारसवितापमतातजहाा पाटोqयाइएमागासqयाकेजयाराशिबंधशाएगाया विष्णगुल किनूननवनियादा संसारखतियानंदाका चित्ताचुतच तेल्यामुतनलिकापरिकार नोत्रगुरुतागणी जाणवायू गुलतिय) केनयनिगाह संसारणमिमा गनिंदावतार याचयावतार मेतयात्रुया चारनयतारिकर्मयःसेते एकिस्म त्राना स्लेव । तेजिततिकजसवमरलो मएपरिक मर्यक्रमलेगुवातरकर #मा साकला कहे निश्करवाए सेणियापरिकमांचकनश्यामकिंतपरकमि) मेकिंता सताईराबावासावमताशेतजमाकमया १०

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