Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor

View full book text
Previous | Next

Page 101
________________ सूचनादः ५१ थापा नै स्वस्मयः कही वि० [अन्पशा खुनानी याने मात्र माने जाग्यावत्से ० एस ० गांग गिन हालै एवंण् इमे वरण मतकरी सहित सत्रते बाजोअंगको २ हिची। नंदी सूत्र क. करणसस्तरी करी सहित ले १०१६ मा जो लोग लक • सामान्पक हा वौकौ अथाह कि केहना एवंवरणकरणवमाद्यविद्यति जावत गरे। 21 मे किंतणेनले []] जीवाधा विछति अजीवाधा वि लोलक नानावा ते लोक तो चालोकनी । लोकाना थापियेलो० लोकास्मयजनमतना परमते तीनच リ स्वापिनो 9 → नावथापि प्याविनो लोक बेइमान स्वापि छति।जीवर हा विछति/लोया विद्यति।चलोमा विद्यति लोया लोए विछति। समाविच्छति ॥ समन तिमि आरुपासनादिकनामा घरद०१ · स्वापियस स्वरमय स्वाप्पी छलांगमध्ये कला बैर मे० हैमवेतादिकवंत बै झादिकः गंगादिकन दीन हीः जिनमलीना परसम्यञ तेरीमुक्तीसा०शिवसहितका बैते बोलाइ श्राका मती नै थापा द्वा थाले दाया सानथी पर्बतका बैकमा गंगादिक बैऊजायगा जिनमता कु. सिद्धांतनादिक का परसमा बिद्यंति घाटामा २ सेल / सिहरि॥४॥शा एका सामान्मयी सर्वाक एकर थालेनेने रवि गलः द० दशलांग वि० मकरी दोषचेक हालैः जा यै द्वाणोग यावतराक्ष्मैश लैगेते नैबारेलांगनेविषै नानावजेता नत्रा की नैविषर: एकधी मामाने एक आ लाधिक१०११लाकरः दीना आघविच्छति । जावाले।एगाईया लाएगुत्तरिया दरागविवटिया नावावरूनलमा ६ १० परिताजे संपाती वा चुला स्वार्थ सं०] मास्नेद बैनी जे सं०संपातास संख्यातासि कते अंगना अर्थ नी गाथा संपा रातेबंदविशेधनगायाधिकनीर तापाता नियुक्त १६ प्रदान रु१तेच्या वाय शिष्पनेनवा आश्री अनुयोगन्सार बैते मारे संख्याता काल नाप्राकमा लगइन जैतेमा अनुयोग धारवैपदे चनाविशेषः सयहणाते अंजनादिकने सूचनेविषेक मयुर अर्थव हे लै संपाला वाचूली ਕਰੇ हिवा विछंति | जावद्वाणेल परिता बायल | संस्किद्यालु गदा ए| संखिद्याने संखिद्यामि लोग ) संखिजाउ सघणीने स लागवनाने जी० जीन पदा बीज हांति है र तेलंगक दकणते गुरुउत्तर दियेतेने निजी व पदार्था थापिये• कहने गौतमद्वाणं अजीव विजा. स्वावियइ: गृह / आगरा हान आजमानत राष्ट्र द्वा०] हालांगनै विषर And 42

Loading...

Page Navigation
1 ... 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130