Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor
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आनंदासत्र
२
विवधानविताना जयन्त मायनो अमानमो | जाग देवकष्टोमव्यातालोकविश्लोक रव जाग
राजमाण खेतमहिनावाजहणेलायुला असंखिजीनागंजालपासकोसेलमसविद्यावालोगेलो जिम्मा जाग1१-६२/कालयमवकिपा। जमन्मतोमवलिका अमब्यातमोना। जाण द६
ना गप्पुमालमितारवाईजानडीपासकालमहिनानिहावलियामसंविजईनागंजालपास अनउक/सब्यासावा शताते | अनागतकाला खरुपजालावधीमविपाजमन्नतो अनंता सलाम,
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ना . की सेवायसखिद्याजसप्पणीमाअनागतवाागतंयकालजाणयामशिनावगहिनामजहणेला जावुनै देवरसनैवष्यलेशनंतालावनजाणासमतावसमारनाहितरअनंतमैनागैजाले बिधिग्मानजन जारी
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स तेनावाजागापास की सजवितेतावेजालीपासशसवेलावामपंतनागाजावासfumesहिन विविध संघलेला उपजे नानविकास मची अवीवाना अवधिम्यान धमतिनो रकजीबनेपामैमनभिग्पानादिर लिमकारेशधापाal
२
मामामा रत्नमानारकासन भिम्पानदेयोलामसागशेव पवजयपचयवनियोऽविशेतमायबरवकपीछेखितयाकालनावेयारानेरध्यदेवाशिकराया सलग मोतबिनाएंबुजश्नमवचानिएवाकाजाम तेवभिपानकही देशवासू
हिवासनलीमकाजाम म्सयाबाहिरातिापामंतिसबवेलूसेमादेसेलपामलित हिनासमता जलाविशेषनिमागे नारकाने
देवदेवतानैतीर्थकरनैश्माध पानलेयतोसबंधकारयतेसर्वथकादेव गलगजिमपनकातिनैकारणेजावतेमध्येताकिरमवधिप्पानकर सदिौर पश्अनैबान्तीदेवाचविणदेष सबंधकीविदेशबजीएकजीवन अवधिपान रहतीउत्कृरी ६६.गसधिसागरोतारअवपिन माननाममात्रकारलकवाकीऊदारिकमात्रदिवाथकीपिणदेष केतलाकवलगैदेतेमानियबरयजीवतीर्थकर मोतेस्तामा वधिपाननोत्रमाणत व्याररातिलेवबलीमारगतिनोषमाणको तेषथमजीवनारकीनै अवधिपान तेहविधिलिबायरलता
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