Book Title: Nandi Sutra
Author(s): Devvachak, Hansraj
Publisher: Nagor
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नदीसू
जिमीकावायश्रादातिशबाहिस्सनेमाहियाश्वानोकभागनयमित सरीनदीसे वनपापानिलेअकस्सौतिवाररबोलजालाना गहनासार अतिवेटामाकोकवटाकरैतेतोजालोकतमध्यवेवोशकवेलापाशीगणधरानैस्माःतिमलिमकः विलनिवारमितकी चालीनातिनानिसारथकादायस्तोमरणोय हैतेहपरषदानीमाजापनीविजजातनिर्मलामतीकरानेजाण ताजोग्मतवणमध्येरअनोग्यताविपरमदाबाजीऊतेषवनविद्यमानाकिनोस्वरूपा -आपणासमोपममबिनिमयदासहित पनकरनीरहिवैम्पानको से तेत्रमस्बैिकलतेमानबुजाणवूमथवा जिलपानकरीनैजायणानसन्मुक्ष्मविशaqलाभकानियमशिलम नालियेतेपानना पंचधकारकलातायकरैअकरमणधरानैकपबितथाआपके साररपाकीजाल तेम्पानामतेकरीनसान वबिवावायन्नोफगावियदो सेकितनागपंचधिदनातजदा/माभिलिबोदियनाणार लीचारुसागरमीनावमतीतजागैत अयोगनैनादेश संगीयायचेदानामनोग मनघोसीयारकादिपानामाजाविणकेवलज्ञान Hoनवेनामयादा दिदमदार्थना कमीप्रमाणमादिपदार्थ तजाउपयोगा शिजायकरवेजालीदवात्रा मोजाइन संपणाबत्रका
देने मजिवषयति नाजाइतेहिनाल३JAAqविपान केनग्मानमार सकतेषरूपलाजगतकहे। सूयना(मनोरठागावदिनापश्वनालायकवलेनालापातसमासनाविधायनताता तिएकपक्का नरकल शिमपतकमा लेजिमग एकतोलापनेवानेषसमनथीम्पानुजालबो३ विकेचनपान तक।
नरवातोश्री स्वामीतका ना वैषकारे तिमको नाफाबाजी नोधीनतमनलकात्यापनमा तया), ज्ञान. मानना तेरवाजानोई तथा मानवप्रतक्षावर मनापानबर जहा परकंकासे कितपचखचा विातजाइदियश्वरकाशनोऽचियापचरकाशसकिदियायचा शिम्पायनवपक्षमा तेक ओबेत काननै चकआपनैपयामा प्राणतेनासिका जिकासानपतब नतेहानायकोषरूप्पा प्रत्याबद१ । सबै२
लक्ष , रकं पंचविपन्नतातजलासोऽदियपचकाचखुईदियापचकाराघालिदियापचकावारसेदियपचरकाशा स्फशिनेबारे | शीतकापान | कोलकहिरोकाश्यतामान नौकाविलाप कसा तेक अवधियाननलका नप्रसनश्य.कहा
ततम्याननाकार कासंदियपचरकापातऽदियपचारकं रासेकितानोऽदियपचक/शिविहानतातजामहिनावरकारमा मनपर्यवज्ञानानकदेख६२ कैवजापानानवत्यष३/कोणमवधियानलन/अवधिमानपकना देकलो तकन। मायनयमालपचरका॥ केवलनाल पचरकाशनासेकिंतदिनाचरकाजविदawaiजहा

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