Book Title: Nandanvan Kalpataru 2018 11 SrNo 41
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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मे मइ मम मह मज्झं महं तहा मज्झ अम्ह अम्हं च । णे णो अम्हे अम्हो चम्पय-कलिआउ गिज्झाओ ॥४१॥ अम्हाणं मज्झाण ममाण ममाणं महाण य महाणं । अम्हाण य मज्झाणं हत्थे धव-पसव-दामाई ॥४२॥ मि मइ मामइ मएवि अम्हम्मि ममम्मि मे तह महम्मि । मज्झम्मि अ थल-नलिणी-कुसुमाहरणे निउत्तव्वं ॥४३॥ अम्हेसु ममेसु तहा महेसु मज्झेसु तह य अम्हासु । आदिसह सल्लई-तरु-नव-कुसुमाहरण-कम्मम्मि ॥४४॥ इअ पउमावइ-देवीइ पूअणे मालिणीउ जम्पन्ति । तीहिं दोहिं दुगुणिअ-बेहिं च सहीहि अन्नोन्नं ॥४५॥ सरय-समयम्मि एत्थ य मिहुण-सरूवेण पिच्छ विलसन्ति । देव दुवे सारसया दुण्णि सुगा बेण्णि हंसा य ॥४६॥ दो दो कुरुरा वे वे अ खञ्जणा नह-यले उअ भमन्ते । पण्णा तिवण्णस्स य उअ तिण्णि वि जुण्ण-नीलाई ॥४७॥ उअ चउरो चत्तारो चत्तारि इमे नहम्मि उड्डन्ते । दंसेइ सारसे इअ मुद्धा दुण्हं वयंसीणं ॥४८॥ दुण्ह नयणाण सुहदा उअ माला पङ्कयाण तासुं च । कमल-सही हंस-वहू अली-वहू पिच्छ रममाणा ॥४९॥ अखलिअ-परिमल-रिद्धि पहिआ दट्ठण छत्त-वण्ण-तरुं । वच्चन्ति मोह-निदं मरण-सहिं भरिअ अप्प-बहुं ॥५०॥ हाहाण समा हे? तरूण सालीण गोविआ गन्ती । खे जन्तीणं मिलिआण सुर-वहूणं गईं खलइ ॥५१॥ अलि-मालाहि सणाहेहिँ बाण-कुसुमेहि परिमल-गुरूहि । दिटेहि वि मुच्छिज्जइ दुहिणीहिं पन्थिअ-वहूहि ॥५२॥ सारस-मालाहिन्तो सुग-मालाओ अ चडय-मालाउ । अखलिअ-गईउ घेणूउ रक्खिमो सालि-वणमेअं ॥५३॥ कुङ्कम-कलिआसुन्तो सुरहिस्स मिउस्स एन्त-पवणस्स । पसरो गिरिम्मि इह तह तरुम्मि सव्वं पि सुरहेइ ॥५४॥ फुल्ला मुणी इह तरू न मुणीउ तरूउ दूरगा भमरा । वाइ मुणीण तरूणं नव-परिमल-मासलो वाऊ ॥५५॥

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