Book Title: Nandanvan Kalpataru 2018 11 SrNo 41
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 75
________________ उद्दीविय-दढ-मयरद्धयग्गिणो वाउणो फुरन्ति रया । मुणि-मालत्तो पङ्कय-मालाहिन्तो पराय-कणा ॥५६॥ चारुम्मि एत्थ पल्लल-वारिम्मि विसट्ट-पोम्म-मालाओ । दोहिं चिअ नयणेहिं होइ न तित्ती नियन्ताणं ॥५॥ मच्च-गणस्स सुराण य अलं खु कामो हवेइ इह सरए । कामाय पवट्टन्ते बाणं कामस्स य घडन्ते ॥५८॥ मयणम्मि विरहिणीणं वहाइ रुट्ठम्मि को व न वहाय । जं ताण वहस्स हुअं फुल्लं सेहालिअ-वणं पि ॥५९॥ वन्दे भण्डीरस्स वि चिरस्स फुल्लम्मि जम्मि अलि-ओली । नील-मणीण न इअरा वण-सिरि-पिट्ठीइ कबरि व्व ॥६०॥ एइ न पहिओ पासे इमस्स असणेसु भूसिअ-वणस्स । गन्ध-विसेहि व तेहिं बीहन्तो नस्सए दूरे ॥६१॥ इह कणय-पङ्कएहिं रत्ति विज्जुज्जलेहि चउ-वीसं । अच्चिज्जन्ति जिणा तेण तेण कालेण सयराहं ॥६२॥ उज्जाण-मण्डवेसुं गरुआअइ लोहिआइ बिम्ब-फलं । गुरुआइ लोहिआअइ एव्वारु-फलं च कच्छेसु ॥६३॥ वेवइ हसइ अ कुमुअं पवेवइ विहसए अ कासं च । देव जलम्मि थलम्मि अ इह पेक्खसि पेक्खसे इत्थ ॥६४॥ न हससि न वोवहससे जइ ता भासेमि किं पि वन्नेमि । अमुणा सरेण हंसाण माणसं तं पि विम्हरिअं ॥६५॥ बहु वन्निउं न सक्कं जाई दीसन्ति सरय-चिन्धाइं । चरिआई विप्फुरन्ते इदो अ हेमन्त-सिसिराण ॥६६॥ विच्छुहिरे कलयण्ठा सूसइरे ताण तारिसो कण्ठो । दीसन्ते कुन्द-लयाउ विप्फुरन्तीह रोलम्बा ॥६७॥ इह पेक्खह पेक्खित्था इहेह पासह इहावि पासित्था । लवली-लयाउ फलिणी-लयाउ फद्धा इवाफुल्ला ॥६८॥ नोवदिसामो नो संदिसामु न य आदिसाम किं तु इमा । गायन्ति इह सयं चिअ मिलिआ कसणेच्छु-गोवीओ ॥६९॥ तुवरामो चणएसुं नव-सरिसव-कन्दलीसु तुवराम । तुवरासु मूलएसुं इअ कच्छ-त्थीण संरम्भो ॥७०॥ ६६

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