Book Title: Nandanvan Kalpataru 2018 11 SrNo 41
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti
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होइज्जइ फलिणी - कुसुमेहि लहिज्जेज्ज केहि नच्छि - सुहं । केहि न लहिज्ज हरिसो जह दीसइ वुच्चइ तहे ॥८६॥ इअ राया उज्जाणं तं कासी नयण - गोअरं सब्बं । काही सउहे गमणं संझा-कम्मं च काहीअ ॥८७॥ अह पढिअं सूएहिं हुवीअ संझा अहेसि अत्थमणं । अम्ह खणो आसि तमो हुज्जइ ससि - उग्गमो हुज्ज ॥८८॥ होस्सामि दुही होहिमि दीणो होहामि असरणो इहि । इअ चिन्तन्तो विरहं सहइ रहङ्गो रहङ्गीए ॥८९॥ वायव्व-ण्हाण-ण्हाया होस्सामो होहिमो अणज्झयणा । होहामो कय- - गेड्डी - खेड्डा होस्साम विगय-भया ॥९०॥ होहाम मुक्क-मेरा होहिम गोवाल - गुज्जरी - गाया | होस्सामु मित्त-मिलिआ होहामु तहेअ कय- नट्टा ॥९१॥ होहि रमिरा भमिरा होहिस्सा निव्वुआ य होहित्था । इअ मुणि-वडुआ जम्पन्ति गाविसमुहं वणे जन्ता ॥९२॥ होस्सं कय-नेवच्छा काहिमि कुरले णडालिअं काहं । दाहिमि वासं केसेसु दाहमलिअम्मि तिलयं च ॥९३॥ पिअ - संमुहं च गच्छं सोच्छं गीअं च हरिसओ रोच्छं । तारुन्न- फलं वेच्छं दच्छं मोच्छं च संतावं ॥९४॥ छेच्छं भेच्छं नक्खेहि पिअं वोच्छं च तेण भोच्छं च । सोच्छिस्सं पिअयम-चाडुआइँ मोहं च गच्छिस्सं ॥९५॥ हसउ अ रमउ अ तुह सहि- अणो हसामु अ रमामु अ अहं पि । हससु अ रमसु अ तं पि हु इअ भणिही मह पिओ इहि ॥ ९६॥ सहिमेवं च भणिस्सं तम्बोलं देहि देसु पुप्फं च । इअ चिन्तन्ती वासय-सज्जा सज्जेइ पिअ - सेज्जं ॥९७॥ तं रमसु तं रमेज्जसु तुमं रमेज्जे रमिज्जहि तुमं पि । रमतंपि वयं रमिमो रमन्तु एआ रमह तुभे ॥९८॥ एआ हसन्तु तुम्हे हसह हसामो वयं पि नीसङ्कं । दइएण रमिज्ज इमा रमेज्जा इमा रमइ ॥९९॥ एसा रमिहिइ एसा रमिज्ज एसा वि संपइ रमेज्जा । एसा रमिज्ज एसा रमउ रमेज्जा य एसा वि ॥ १०० ॥
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