Book Title: Namaskar Mantrodadhi Author(s): Abhaychandravijay Publisher: Saujanya Seva Sangh View full book textPage 7
________________ ।। नमो उवन्झायाणं आयुद्धे । ॥ नमो लोए सव्वसाहूणं मौर्वीए । ।। एसो पञ्च नमुक्कारो पादतले ॥ ।। वज्र शिला सव्व पावप्परगासणो ॥ ॥ वज्र मय प्राकारं चतुर्दिक्ष मंगलाणंच ।। ॥ सव्वेसिखदिराङ्गारखातिका पढम हवा मङ्गलं ॥ ॥ प्रकारो परि वज्रमय ढाकणं ।। १७ ।। , सकली करण करके ध्यान करना चाहिये जिससे सर्व प्रकार के विघ्न शान्त हो जाय और इच्छित फल प्राप्त हो । महामन्त्र। ॐ गमो अरिहन्ताणं, ॐ हृदयं रक्ष रक्ष हू. फट् स्वाहा ।, ॐ गमो सिद्धाणं ह्रीं शिरो रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा । ॐ गमो पायरियाणं है. शिखां रक्ष रक्ष ह. फट् स्वाहा ।। ॐणमो उवज्झायाणं ह्र एहि एहि भगवति वज्रकवचे " वज्रपाणि रक्ष रक्ष है. फट् स्वाहा । ॐ णमो लोए सव्व साहूणं ह्रः । क्षिप्रं साधय साधय वज्रहस्ते शूलिनि दुष्टान् रक्ष रक्ष हूं फट् स्वाहा । एसो पञ्च नमुक्कारो वज्रशिलाप्राकारः सव्व पावप्परगासरणो अमृतमयो परिखा। मंगलारणंच सवेसि महा वज्राग्नि प्राकारः पढमं हवइ मङ्गलम् ॥ १८ ॥ Scanned by CamScannerPage Navigation
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