Book Title: Namaskar Mantrodadhi
Author(s): Abhaychandravijay
Publisher: Saujanya Seva Sangh

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Page 33
________________ ( ३२ ) द्वारा एकान्त स्थान में ध्यान करने का प्रयत्न किया जाय और जहां तक बन सके पिछली रात्रि को साढे चार बजे लगभग प्रयत्न किया जायगा तो आशा है कि मन भी वश में रहेगा और ध्यान समाधि मय निर्विघ्नता से बन सकेगा। --*-- ध्याता पुरुष की योग्यता ध्यान करने की इच्छा रखने वालों को निज की योग्यता बढाकर ध्याता, ध्येय और ध्यान को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। क्योंकि इन भेदों के समझे बिना कार्य सिद्ध नहीं हो सकेगा। अतः ध्यान करने वालों में कौनसे गुण होना चाहिये जिसका संक्षेप वर्णन करेंगे। ध्यानी मनुष्य धैर्यता रखने वाला शान्त स्वभावी, सम परिणामी और अत्यन्त सङ्कट प्राजाने पर भी ध्यान को नहीं छोड़े इस प्रकार अटल श्रद्धा वाला होना चाहिये और सबकी तरफ - समान भाव से देखने वाला, शीत आतापनादिक असह्य कष्ट से घबराता न हो और निज के स्वरूप से भ्रष्ट न हो, क्रोध, मान, माया, लोभ आदि का त्याग करने वाला, रागादि से मुक्त, कामवासना से विराम पाया हुआ, निज के शरीर पर मोह उत्पन्न न हो, इस तरह की भावना से संवेगरूपी द्रह में निमग्न सर्वदा समता का आश्रय लेने वाला, मेरु पर्वत की तरह निष्कम्प, चन्द्रमा के तुल्य आनन्ददाता और वायु की तरह सङ्गरहित इस तरह का बुद्धिमान ध्यान में निपुण ध्याता पुरुष हो वही प्रशंसा के योग्य है । अतः ध्याता पुरुष को अपनी योग्यता की तरफ पूरा लक्ष देना चाहिये क्योंकि योग्यता प्राप्त किए बिना प्रवेश किया जाय तो कार्य की सिद्धि असम्भव है। . Scanned by CamScanner

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