Book Title: Namaskar Mantrodadhi
Author(s): Abhaychandravijay
Publisher: Saujanya Seva Sangh

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Page 43
________________ ( ४२ ) तमाम प्रकार के विघ्नों की शांति के लिये आठ रात्रि पर्यन्त योगीध्यानी कोई जाप करे तो आठ रात्रि व्यतीत होने के बाद जाप करते करते कमल के अन्दर पत्रों में आठ वर्ण अनुक्रम द्रष्टिगत होंगे । और इनको देखे बाद ऐसी सिद्धि प्राप्त हो जाती है कि भयङ्कर सिंह, सर्प, हाथी, राक्षस व व्यन्तरादि भी क्षण वार में शान्त हो जाते हैं और किसी प्रकार की पीडा न करते हैं बैठ जाते है या पास में फिरने लगते हैं। एहिक फल की इच्छा रखने वालों लो प्रणव ।। ॐ ।। पूर्वक इस मन्त्र का ध्यान करना चाहिये । और मोक्ष पद प्राप्त करने की इच्छा वालों को प्रणव रहित ध्यान करना चाहिये । ॥ श्रीमद्ऋषभादि वद्धं मानान्ते भ्यो नमः ।। इस मन्त्र को कर्म समूह की शान्ति के लिये चिन्तवन करना, और अन्य जीवों पर उपकार करने के लिये कर्मक्षय निमित्त ॐ अर्हन्मुख कमल वासिनी पापात्म क्षयं करि, श्रुत ज्ञान ज्वाला सहस्र प्रज्वलिते हे सरस्वती मत्पापं हन, हन, दह, दह, क्षाँ क्षी हूं क्षौं क्षः क्षीर धवले अमृत सम्भवे वं वं हँ हुँ स्वाहा ।। इस पाप भक्षिणी विद्या का स्मरण करना। इस विद्या के अतिशय प्रभाव से चित प्रसन्न होता है । पाप कालुष्य दूर हो जाता है, और ज्ञान रूप प्रदीप का प्रकाश होता है । ऐसा यह महा चमत्कारी मोक्ष लक्ष्मी का बीज भूत यह मन्त्र विद्या प्रवाद नाम के दशवें पूर्व में से उद्ध त किया हुआ है। ऐसे ज्ञानियों के Scanned by CamScanner

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