Book Title: Namaskar Mantrodadhi
Author(s): Abhaychandravijay
Publisher: Saujanya Seva Sangh

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Page 12
________________ ।। लाभदायक मन्त्र ॥ ॥ॐ नमो अरिहन्तारणं ॥ ।। ॐ नमो सिद्धारणं ॥ ॥ ॐ नमो प्रायरियारणं ॥ ॥ ॐ नमो उवज्झायारणं ॥ ॥ ॐ नमो लोए सव्व साहूरणं । ॥ ॐ ह्रां ह्रीं ह्र हौ हः स्वाहा ।। इस मन्त्र को पटनावृत से गिनना चाहिये उङ्गलीयों पर प्रावृत्त से भी गिन सकते हैं । उच्चार रहित जाप किया जाय और स्थिर चित्त से किया जाय तो लाभदाई है। प्रावृत का चित्र पजे में दिया है, सो "माला व प्रावृत्त विचार" के प्रकरण में देख लेना। - पटनावृत्त के लिये ऐसा भी सुना है कि प्रथम पद ब्रह्मरन्ध्र में, दूसरा ललाट, तीसरा कण्ठ-पिञ्जर,चौथा हृदय में और पांचवां नाभी कमल में स्थित कर इस मन्त्र का ध्यान करे। दूसरी तरकीब पटनावृत की यह है कि, ब्रह्मरन्ध्र, ललाट, चक्षु, श्रवण और पाचवां मुख इन पर ध्यान लगावे। १ परमा ११ ॥ अङ्गरक्षा मन्त्र पढम हवह मंगल बज्रमयो ........... शिला मस्तकोपरि, नमो परिहन्तारणं अंगुष्ठये "नमो सिदार तर्जन्या, Scanned by CamScanner

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