Book Title: Namaskar Mantrodadhi
Author(s): Abhaychandravijay
Publisher: Saujanya Seva Sangh

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Page 17
________________ ( १६ ) साध्य करते समय प्रातःकाल मध्यान्ह, और सन्ध्या समय जाप्य करना चाहिये । पूर्व दिशा में मुख रख कर बैठना, और उत्तर क्रिया में ग्यारह सो जाप्य करने से सिद्धि होती है । इसकी साधना में “दलदारभ्यामुमुवे" श्रादि क्रियायें करनी चाहिये सो गुरुगम से ज्ञात करना । ।। व्यन्तर पराजय मन्त्र ॥ नम्बर ३८ वाला मन्त्र जो उपर बता चुके हैं इसी के प्रभाव से व्यन्तर का उपद्रव किसी मकान महल या मनुष्य स्त्री आदि में हो तो केवल ग्यारह सौ जाए विधी सहित करने से उपद्रव मिट जाता है । इसकी साधना में इशान कूरण में मुख रख कर बैठे और आठ रात्रि तक अर्द्ध रात्रि के समय साधना करे तो व्यंतरादि का भय नष्ट हो जाता है । Th TE जीवरक्षा मन्त्र । ॐ नमो अरिहन्तारणं, ॐ नमो सिद्धाणं ॐ नमो आयरियाण ॐ नमो उवज्झायाणं, ॐ नमो लोए सव्वसाहूणं, झुलु भुलु कुलु कुलु चुलु चुलु मुलु मुलु स्वाहा ॥४०॥. जीव रक्षा व बन्दीवान को मुक्त कराने के हेतु भुत इस मन्त्र को साध्य करना चाहिये | साध्य करते समय पट्ट पट या थाली तांबे की या सप्त धातु की लेकर प्रष्ट गन्ध से मन्त्र को लिखें और सत्रा लक्ष जाप करने बाद सिद्धि क्रिया में बलिकर्म अर्चनादि विधान बराबर करे तो देव सहायक होते हैं, और जीव रक्षा के समय अमुक संख्या में जाप करने पर विजय होता है। ● A Scanned by CamScanner

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