Book Title: Namaskar Mantrodadhi
Author(s): Abhaychandravijay
Publisher: Saujanya Seva Sangh

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Page 18
________________ ( १७ ) । ।। सम्पत्त प्रदान मंत्र । ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं अ. सि. प्रा. उ. सा. चुलु चुलु हलु हृलु कुलु कुलु मुलु मुलु इच्छियमे कुरु कुरुस्वाहाः ।। ४१।। इस मन्त्र का चौबीस हजार जाप करना चाहिये विधी सहित जाप हो जाने बाद उत्तर क्रिया करना और उत्तर क्रिया के बाद में एक माला नित्य फेरना सर्व प्रकार की सम्पत्ति का लाभ होगा। ॥सरस्वती मन्त्र ॥ ॐ अ. सि. प्रा. उ. सा. नमोहं वाचिनी, सत्यवाचिनी वाग्वादिनी वद वद मम वन व्यक्त वाचया ह्रीं सत्यंथुहि सत्यंथुहि सत्यंवद सत्यंवद अस्खलितप्रचारं तं . देवं मनुजासुरसहसी ह्रीं हैं अ. सि. आ. उ. सा. नमः स्वाहा ।।४२॥ यह मन्त्र सरस्वती देवी की आराधना का है। इस मन्त्र द्वारा "बप्प भट्ट सूरजी" ने सरस्वती को प्रसन्न की थी। इस मन्त्र का एक लाख जाप्य करने से सिद्ध होता है । ॥शांतिदाता मन्त्र । ॐ अर्ह अ. सि. आ. उ. सा. नमः ॥४३।। इस मन्त्र का नित्य स्मरण करने से शान्ति होती है गृह कलह आदि का नाश होता है और सम्पत्ति आती है । ॥ मंगल मन्त्र ।। अ. सि. प्रा. उ. सा. नमः ॥४४॥ यह मन्त्र तुष्टि पुष्टि दाता है नित्य स्मरण करने से सुख की प्राप्ति होती है। Scanned by CamScanner

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