Book Title: Munisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Rushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust

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Page 75
________________ हुआ है। इसके पूर्व में सहय पर्वत दक्षिणोत्तर फैला हुआ है और पश्चिम में अरबी समुद्र है । यहाँ की मुख्य फसल चावल है । पुराने समय में यहाँ के एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिऐ मात्र जलमार्ग था; पर आजकल सड़कें, पुल आदि के कारण यातायात की सुविधा हो गयी है, अतः व्यापार, उद्योग बढ़ गया है । कई जगह कल कारखाने निर्माण हुए हैं । यहाँ के जंगलों में आम, जामुन, फणस, बेर आदि के वृक्ष पाये जाते हैं । समय समय पर राजस्थानी लोग भी यहाँ व्यापार हेतु आते गये और बसते गये। इस प्रकार पेण, पनवेल, पोइनाड, नागुठाणा आदि नगरों में जैन लोगों की संख्या बढ़ गयी और जिनमंदिर उपाश्रय, पाठशाला, आयंबिल भवन आदि पवित्र स्थानों से ये नगर समृद्ध होते गये । इसी कोकण प्रदेश का एक प्रमुख नगर है - थाना । वर्तमान में इसे ठाणे कहते हैं। यह बंबई से चालीस किलो मीटर दूरी पर स्थित है । महावीर वाणी मिच्छतं वेदंतो जीबी, विवरीय दंसणो होइ । ण य धम्मं रोचेदि हु. महुरं पि रसं जहा जाई दो । । जो जीव मिथ्यात्व से ग्रस्त होता है, उसकी दृष्टि विपरीत हो जाती है। जिस प्रकार ज्वर ग्रस्त मनुष्य को मीठा रस भी अच्छा नहीं लगता है, उसी प्रकार उसे धर्म अच्छा नहीं लगता है। श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ५१ ara Surat Shree Sudharmaswami-Gyanbhand .wwwwwwumaragyanibhandar.com

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