Book Title: Munisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Rushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
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थाना नगर जैसे देश का इतिहास बदलता है, वैसे ही समय समर पर : भूगोल भी बदलता है। जिस काल में श्रीपाल महाराज थाना पधारे
थे; उस समय इस नगर की स्थिति कुछ और ही थी। उस काल में । थाना एक व्यापारिक बन्दरगाह था। दूर-दूर के व्यापारी जलमार्ग से . यहाँ आते थे और व्यापार करते थे।
ठाणे शहर के पास वडवली खाडी हैं। वहाँ रेमण्ड वुलन मिल है। पुर्तगालियों का चर्च, झरीमरी माता का मंदिर तथा सिद्धाचल तालाब भी वहाँ है। भूतकाल में वहाँ जैनों और अजैनों के कुल मिलाकर नौ सौ निन्यान्बे मंदिर थे। इसी से अंदाजा लगाया जा
सकता है कि प्राचीन थाना नगर कितना विशाल रहा होगा। प्राचीन | अवशेष यहाँ अब भी यदा कदा प्राप्त होते रहते हैं। नाला सोपारा | गाँव में जैनो के भी प्राचीन अवशेष प्राप्त हुए हैं।
प्राचीन काल में भारतवर्ष में सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी और यदुवंशी राजाओं का राज्य था। मध्ययुग में इस देश पर मुसलमानों का आधिपत्य रहा। अठारहवीं सदी में अंग्रेजों ने इस देशपर अधिकार जमाया। उन्होंने भारतीय संस्कृति को नष्ट करने का भरसक प्रयत्न किया। उनके समय में भौतिकी का अभूतपूर्व विकास हुआ। रेलसेवा, डाकसेवा, तारसेवा आदि सेवाएँ शुरू हुई
और देश में व्यापार बढ़ा। पहली रेल लाईन बम्बई और थाना के बीच ही डाली गयी। थाना नगर का विकास हुआ और विविध व्यवसाय यहाँ चलने लगे।
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