Book Title: Munisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Rushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
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२. ॐ हाँ हाँ हूँ हाँ हः असि आउसा स्वाहा। ६. ३. नमो अरिहंताणं, नमो सिध्दाणं, नमो आयरियाणं, नमो उवज्झायाणं, नमो लोएसव साहूणं।
भाव शुध्दि पूर्वक किया गया उपरोक्त किसी भी मंत्र का जाप इष्ट सिध्दि प्रदायक है। इनके जाप से रोग-शोक नष्ट होते हैं और मनोकामना पूर्ण होती है।
___ यदि घर-परिवार-दूकान-व्यवसाय में क्लेश हो, वैर का या हानि का उपद्रव हो, तो शान्त चित्त से निम्नलिखित मंत्र का जाप - करना चाहिये
४. नमो लोए सव्व साहूणं, नमो उवज्झायाणं, नमो आयरियाणं, नमो सिध्दाणं, नमोअरिहंताणं। प्रकट प्रभावी श्री पार्श्वनाथ भगवान से संबंधित मंत्र१. ॐ हीं श्री अर्ह नमिऊण पास विसहर वसह जिण फुलिंग ॐ ही श्री एँ अहं नमः।
विधि - १) आसो सुदी ८-९ और १० के दिनों में तीन उपवास या तीन आयंबिल पूर्वक धरणेन्द्र पद्मावतीसहित श्री पार्श्वनाथ भगवान की तसवीर के आगे दीप धूप रखकर उपरोक्त मंत्र की १२५ मालाएँ गिनना चाहिये।
२) किसी भी महीने की वदी चौदस के दिन रविवार हो तब | अखंड चावल पास में रखकर उपरोक्त मंत्र की १२५ मालाएँ गिनना। एक एक माला पूरी होने पर एक एक चावल मंत्रित कर
प्रभू के चरण में रखना। इस प्रकार कुल १२५ चावल मंत्रित कर - शुध्द डिब्बी में रखना और उन्हे प्रति दिन दीप-धूप करना।
२. ॐ नमो भगवते श्री पार्श्वनाथाय ही धरणेन्द्र
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श्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ६७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com