Book Title: Munisuvrat Swami Charit evam Thana Tirth Ka Itihas
Author(s): Purnanandvijay
Publisher: Rushabhdevji Maharaj Jain Dharm Temple and Gnati Trust
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प्राप्त होता है। इसके अलावा यहाँ यात्रियों के लिए शनिवार रविवार को भाते की भी सुन्दर व्यवस्था है । यहाँ पर आयंबिल भवन भी विद्यमान है । वर्धमान तप, नव पद ओली आदि तप करनेवालों के लिए यहाँ आयंबिल करने की उत्तम व्यवस्था है । अष्टमी, चतुर्दशी आदि पर्वतिथियों के अवसर पर आराधक अधिक संख्या में आयंबिल तप करते हैं ।
यहाँ की जैन पाठशाला में विद्यार्थी धार्मिक अध्ययन करते हैं। यहाँ पर प्रतिक्रमण सूत्रोंका और जैन तत्वज्ञान का अभ्यास करवाया जाता है। सचमुच मंदिर, पाठशाला, उपाश्रय और आयंबिल भवन जैन संस्कृति की सुरक्षा के केन्द्र हैं ।
यहाँ के जैन संघ द्वारा यहाँ पर 'मानव क्षुधा तृप्ति केन्द्र' चलाया जाता है। इस केन्द्र द्वारा प्रतिदिन गरीब और निराधार लोगों को रोटी और सब्जी (साग) का मुफ्त वितरण किया जाता है । थाना में प्रति वर्ष साधु मुनिराजों के चातुर्मास हुआ करते हैं; जिससे श्रीसंघ में धर्मभावना के साथ साथ संगठन की भावना भी बढ़ती रहती है ।
यहाँ श्री ऋषभदेवस्वामी जैन मंदिर ट्रस्ट श्वेतांबर पेढी द्वारा मन्दिर की व्यवस्था सुचारू रूप से की जाती है ।
महावीर वाणी
जं जं समये जीवो आविसह जेण जेण भावेण ।
सो तंमि तंमि समए सुहासु हं बंधए कम्मं ।।
जिस समय जीव जैसा भाव धारण करता है, उस समय
वह वैसा ही शुभ-अशुभ कर्मों को बांधता है।
shier Donarmaswami Gyaश्रीमुनिसुव्रत स्वामी चरित ५५
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