Book Title: Munhata Nainsiri Khyat Part 03
Author(s): Badriprasad Sakariya
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 5
________________ संचालकीय वक्तव्य मुहता नैणसी री ख्यात के भाग-१ सन् १९६० ई० मे व भाग-२ सन् १९६२ ई० में राजस्थान पुरातन ग्रन्थमाला के क्रमशः ग्रन्थांक ४८ और ६२ के रूप मे प्रकाशित हो चुके हैं । अब इस ग्रन्थ का तीसरा भाग ग्रन्थांक ७२ के रूप में प्रकाश में आ रहा है। इस ख्यात मे बातो के रूप मे अनेक ऐसे ऐतिहासिक आख्यान सकलित है जो ऐतिहासिक तथ्यों को प्रकट करने के साथ-साथ अत्यन्त रोचक भी है। इन कथानकों में प्रयुक्त राजस्थानी गद्य का आदर्श भी द्रष्टव्य और अध्ययनीय है। जैसा कि दूसरे भाग के संचालकीय वक्तव्य मे सूचित किया गया था कि तीसरे भाग में ग्रन्थगत-नामानुक्रमणिका और सपादकीय प्रस्तावना भी प्रकाशित की जावेगी, वह प्रस्तुत ग्रन्थ के कलेवर-विस्तार के भय से इसमें नहीं दी जा रही है। विद्वान् सम्पादक की विस्तृत तथ्य-गर्भित एवं अध्ययनात्मक प्रस्तावना, ग्रन्थगत विशिष्ट ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं स्थलों की नामानुक्रमणिका तथा शब्द-कोष आदि का समावेश चतुर्थ भाग मे किया जा रहा है, जिसको यथाशक्य शीघ्रातिशीघ्र प्रकाशित करने का प्रयत्न जारी है । यह सामग्री इतिहास और राजस्थानी भाषा के अनुसंधान-कर्ताओ के लिए विशेष रूप से उपयोगी सिद्ध होगी। मुहता नैणसी री ख्यात के इस तृतीय भाग के प्रकाशन मे भारत सरकार के शिक्षा मत्रालय से 'अाधुनिक भारतीय भाषाविकास-योजना' के अन्तर्गत राजस्थानी भाषा के विकासार्थ सहायता-अनुदान प्राप्त हुआ है, तदर्थ हम भारत सरकार, केन्द्रीय शिक्षा-मत्रालय के प्रति आभार प्रकट करते है । दि० १६ सितम्बर, १९६४ मुनि जिनविजय सम्मान्य सचालक राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर

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