Book Title: Mannaha Jinan Aanam Swadhyay
Author(s): Vijaykirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan

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Page 436
________________ परिशिष्टः-१ worrr ३७७ शीलम् निरतिशयं गरिमाणं निलज्जिमा अविणओ निवणुस्सिओ निवन्नो निव्वाणसाहए जोए निस्सग्गुवएसरुई निहयाणि हयाणि नीओ तत्थणुदत्तो नो इत्थीणं नो कयपच्चक्खाणो नो खलु समत्थे चमरे नो तिविहं तिविहेणं न्हवणबिलेवणआहरण पंच चउरो अभिग्गहि पंचमहब्बयजुत्तो पंचविहं आयारं पंचिंदिया मणुस्सा पच्चक्खाएण कया पच्चक्खाणं उत्तर पच्चक्खाणं जाणाइ पच्चक्खाणंमि कए पच्चक्खाणं सव्वन्नु पच्चक्खाणमिणं पच्चक्खाणस्स फलं पच्छा वि ते पयाया पज्जोसवणाइ तवं पट्ठवणओ अ दिवसो पडिकमणं देसिअ पडिकमणे सज्झाए पडिक्कमणेणं (आलावो) पडिणीअत्तणनिन्हव पडिलेहणं कुणन्तो पडिलेहिउं दानम् योगशास्त्र ३/११९ वृत्ति १७३ नमस्कारः २१५ कायोत्सर्गः आवश्यकनियुक्ति-१४६० ११९ नमस्कारः आवश्यकनियुक्ति-१०१० २२२ सम्यक्त्वम् ठाणाङ्ग-१०/३/७५१,उत्तराध्ययन, प्रज्ञापना-११५ ५८ करणदमः उपदेशमाला-३२८ ३३० वन्दनकम् योगशास्त्र ३/१२९ वृत्ति ९९ उत्तराध्ययन-१६/५ १८५ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१५८२ १३४ जिनपूजा भगवती-३/२/१४४ २४३ कायोत्सर्गः आवश्यकनियुक्ति-१५८३ १३४ जिनपूजा संबोधप्रकरण-५७ २५० प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१६०१ १३८ वन्दनकम् आवश्यकनियुक्ति-११९७ १०४ नमस्कारः आवश्यकनियुक्ति-९९४ २२० शीलम् सम्बोधसप्तति-६२ १८९ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१६१३ १३८ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१५६३ १३२ प्रत्याख्यानम् आवश्यकभाष्य-२४७ १३५ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१५९४ १३७ प्रत्याख्यानम् आवश्यकभाष्य-२४६ १३५ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१६२१ १५२ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१६२० १३९ विवेकः दशवै. ४/२८, धर्मसं-५३ वृत्ति २९९ प्रत्याख्यानम् आवश्यकनियुक्ति-१५६८ १३२ प्रत्याख्यान् आवश्यकनियुक्ति-१५७० १३३ प्रतिक्रमणम् आवश्यकनियुक्ति-१२४७ १११ वन्दनकम् आ.नि.-१२००, गु.भा.-१७ ९५ प्रतिक्रमणम् उत्तराध्ययनसूत्र १०७ जिनाज्ञा प्रथमकर्मग्रन्थ-५४ ०७ यतना ओघनियुक्ति-२७३ २३६ प्रतिक्रमणम् आवश्यकनियुक्ति-१२४९ वृत्ति १११

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