Book Title: Mannaha Jinan Aanam Swadhyay
Author(s): Vijaykirtiyashsuri
Publisher: Sanmarg Prakashan
View full book text
________________
३८२
या आइच
रिजुमइविलमईओ
रूसउ सज्जण
लिंगतिअं सुस्सूसा वंदइ उभओ कालं पि
वंदइ पडिपुच्छर
वंदrयं गाहातिअ
वंदिज्जमाणा न
वंसीसुण छिज्जह
वज्जेमि ति परिणओ
वधूयाऽकारि
वरगंधधूवचक्खुक्ख
वरमउडकिडधरो
वरमनलंमि पवेसो
वरवरआ घोसिज्जइ
ववहारावस्सय
ववहारोऽवि हु बलवं
वसहिकह
वसही - सयणाऽसण
वसीहसयणाऽसण
वह भावाभावे
वामंगुलिमुहपत्ती
वामरहि
वामदेसं रयहरणं
वायनिसग्गुड्डो
वाससहस्सं पि
वासीचंद कप्पो विअडणपच्चक्खाणे
विकथा अनइ विज्जाहरीहिं सहरिसं
विणओवयार
विणओ सासणे मूलं
भावः
सम्यक्त्वम्
जिनाज्ञा
सम्यक्त्वम्
यतना
यतना
प्रतिक्रमणम्
सामायिकम्
शीलम्
जीवकरुणा
उपशमः
जिनपूजा
परोपकारः
भाषासमितिः
दानम्
सामायिकम्
सामायिक
शीलम्
दानम्
जयणा
जीवकरुणा
वन्दनकम्
वन्दनकम्
वन्दनकम्
कायोत्सर्गः
चरणपरिणामः
कायोत्सर्गः
वन्दनकम्
प्रतिक्रमणम्
तपः
वन्दनकम्
वन्दनकम्
मन्नह जिणाण आणं स्वाध्यायः '
आवश्यक निर्युक्ति- ३६३ विशेषावश्यकभाष्य-८०३ वृत्ति
उपदेशमाला - २२९
उपदेशमाला - २३२
प्रवचनसारोद्धार - १७८
आवश्यकनिर्युक्ति-८६६
ओघनिर्युक्ति-७५१
निशिथभाष्य - ३१९४
उपदेशमाला - ४४९
आवश्यकनिर्युक्ति-२१९
धर्मसङ्ग्रह - ६१ वृत्ति
पञ्चवस्तु - १०१६
प्रवचनसारोद्धार - ५५८
उपदेशमाला - २३९
उपदेशमाला - २३९
योगशास्त्र ३ / १२९ वृत्ति
योगशास्त्र ३ / १२९ वृत्ति
योगशास्त्र ३ / १२९ वृत्ति
आवश्यकनिर्युक्ति-१५१२
उपदेशमाला - २५१
आवश्यक निर्युक्ति- १५४८
पञ्चवस्तुक- ४७७
उपदेशमाला - ५३ आवश्यक निर्युक्ति-१२१५
आ. नि. १२१६, वि. आ. भा. ३४६८
२०३
५८
१६
५९
२३६
२३७
१०८
८८
१७९
३१४
२९०
२४७
२२७
३१०
१६७
८४
८७
१८०
१७४
२३८
३१९
९७
९८
९८
१२१
३३९
१२८
१०४
११०
१९८
९५
९५

Page Navigation
1 ... 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468