Book Title: Mahavira ki Bodh Kathaye Diwakar Chitrakatha 005
Author(s): Pushkar Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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भगवान महावीर की बोध कथाएँ
जिनपाल ने देवी की बातों पर ध्यान नहीं दिया। वह अविचल भाव से बैठा रहा। किन्तु जिनरक्षित का मन थोड़ा-सा पिघल गया, उसने देवी की मोह भटी बातों से विचलित होकर ज्यों ही देवी की ओर नजर उठाई कि अश्व रूपी यक्ष ने उसे अपनी पीठ से गिरा दिया।
देवी ने क्रोध में आकर समुद्र में गिरने से पहले ही उसके टुकड़े-टुकड़े कर दिये। और जिनपाल सुखपूर्वक अपने घर पहुंच गया।
बन्धुओ ! जो साधक लालसा एवं प्रलोभनों पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह सुखपूर्वक अपनी
जीवन यात्रा तय कर सकता है. और जो उसके माया-जाल में जा फँसा, तो वह अपना सर्वनाश कर
बैठता है। इसलिए प्रलोभनों से बचो! -
RAO.GIOTOAL
समाप्त
ज्ञाता धर्म कथा सूत्र
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