Book Title: Mahavira ki Bodh Kathaye Diwakar Chitrakatha 005
Author(s): Pushkar Muni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan
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जमा पूँजी
उसने अपने तीनों पुत्रों, देवदत्त, शिवदत्त और जिनदत्त को एक एक हजार स्वर्ण मुद्रायें देते हुए कहा
मैं तुम तीनों को बराबर पूँजी देता हूँ। परदेश जाकर इससे व्यापार करो।
भगवान महावीर की बोध कथाएँ
मेघदत्त नाम का वणिक एक दिन अपनी दुकान पर बैठा विचार कर रहा था।
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मुझे अपने तीनों पुत्रों की योग्यता और चतुरता की परीक्षा लेनी चाहिए। कौन किस योग्य है?
तीनों पुत्र धन लेकर व्यापार करने दूसरे शहर की ओर चल दिये। अपने गाँव से कुछ दूर पहुँचकर वह एक जगह रुके और आपस में सलाह की।
यहां से तीन दिशाओं में रास्ते जाते हैं। हम तीनों को अपना भाग्य अजमाने अलग-अलग रास्तों पर जाना चाहिए।
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